हर जीव में-प्रभात रमण

हर जीव में

कितनी भी पूजा करो
तुम मिट्टी और पाषाण का ।
पर मानो या न मानो
हर जीव में है समाहित
मूरत उस भगवान का ।
जिस जगत में तुमने जन्म लिया
वहाँ न कोई साथ था ।
उस ऊपर वाले ने ही भेजा था
जहाँ किरण प्रभात का ।
सब ढूंढ रहे थे उसे
जैसे चातक को हो
तलाश बूंद बरसात का ।
करो कामना सुख की चाहे
जितनी पूजा नमाज से ।
कुछ न मिलेगा अगर भूल गए
सारे जीव को आज से ।
ये धरती, पाताल, स्वर्ग, नरक
सब कुछ यही पर मिलता है ।
क्यों भरोसा किये हुए हो
तुम नील आकाश का ।
जप-तप, ध्यान, योग का
कुछ भी फल न मिलेगा ।
आज से अच्छा  तुमको कल ना मिलेगा ।
सबके दुख को बाँटो अपने सुख को छोड़ो,
शायद फल मिल जाये तुम्हे सौ जन्मों के उपवास का ।
मंदिर, मस्जिद जाने से गिरजाघर में लौ जलाने से,
मन को अपने बहलालोगे ।
पर हिसाब तो उनको देना है
तुमको हर एक स्वांस का ।
कुछ यत्न करो कुछ प्रयत्न करो
थोड़ी सेवाभाव जगा लो तुम ।
अपने अन्तर्मन से अब
धरम, जाति का भेद मिटा लो तुम ।
सब जीव तुम्हारे अपने हैं
उन सबको गले लगा लो तुम ।
वो सारी व्यवस्था कर देगा
निज धाम में तुम्हारे प्रवास का ।
सब काम तुम्हारे देख रहा
सब ज्ञान तुम्हारा जाँच रहा ।
जिसे तेज की अग्नि समझते हो
उसमें बचा न आँच रहा ।
सब तीरथ चाहे घूम लो
मन्दिर की सीढ़ियाँ चूम लो
पर अटल सत्य तब मिलता है
जब सबके अन्तर्मन में
एक धागा हो विश्वास का ।
मत ढूंढो प्रभू को तुम
मन्दिर, मस्जिद, गिरजाघर में,
वो तो चुपके आ बैठ गए हैं
सब जीवजगत के अंदर में ।
हर पल है वो घूम रहा
इस जीवन रूपी समन्दर में ।
पूजा करो, इबादत करो
पर सदा भावना रखो
सकल विश्व कल्याण का ।
बस खत्म मत करो तुम

मान एक इंसान का ।।

प्रभात रमण
मध्य विद्यालय किरकिचिया
प्रखण्ड – फारबिसगंज
जिला – अररिया

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