होली – संजय कुमार

Sanjay DEO

कुसुम किसलय खिलते हैं
कुंञ्ज उपवन वाग में

कोकिल मधुर कूकते हैं
आम्र मंजर वाग में

आग लगते हैं पलाश के
फाग के ही मास में

हवा मादकता लिए
झूमते हैं फाग में

तन भींगते हैं यहाँ
रंग से ही फाग में

मन भींगते हैं यहाँ
प्रेम और अनुराग में

तन प्रफुल्लित
मन प्रफुल्लित
बसंत के इस पर्व में

ईश अनुकंपा बरसे
रंगों के इस पर्व में ।
होली है

संजय कुमार
जिला शिक्षा पदाधिकारी अररिया
(बिहार)

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