जमाना आजकल – नीतू रानी

जमाना आजकल
जमाना आजकल जो हो रहा,
अपना परिवार अपनों से हीं बिछड़ रहा।

जमाना आजकल जो हो रहा,
अपनों को देखकर अपना हीं जल रहा।

जमाना आजकल जो हो रहा,
संपत्ति के लिए एक दूसरे को मार रहा।

जमाना आजकल जो हो रहा,
कुछ पैसों के लिए पुत्र पिता को नहीं पहचान रहा।

जमाना आजकल जो हो रहा,
पहले जैसा संस्कार अब पीछे छूट रहा।

जमाना आजकल जो हो रहा,
करने लगा सब पाप , पुण्य को छोड़ रहा।

जमाना आजकल जो हो रहा,
अपनों से रिश्ता तोड़ दूसरों से जोड़ रहा।

जमाना आजकल जो हो रहा,
अपनों को देख अपना हीं मुख मोड़ रहा।

जमाना आजकल जो हो रहा,
लोग सत्य को छोड़कर असत्य की तरफ बढ़ रहा।

जमाना आजकल जो हो रहा,
झूठ बोल- बोलकर लोग दूसरों को फंँसा रहा।

जमाना आजकल जो हो रहा,
लोग अंधविश्वास के चक्कर में हैं फँसता जा रहा।

जमाना आजकल जो हो रहा,
सादगी जीवन छोड़ फैशन की ओर बढ़ रहा।

जमाना आजकल जो हो रहा,
अपने माता-पिता को छोड़, सास ससुर को अपना समझ रहा।

जमाना आजकल जो हो रहा,
अपने माँ -बाप की बातें टाल पत्नी की सुन रहा।

जमाना आजकल जो हो रहा,
पत्नी की बातों में आकर, माँ- बाप को घर से बेघर कर रहा।

जमाना आजकल जो हो रहा,
माता- पिता को बिना खिलाए
बहू- बेटा खा रहा।

जमाना आजकल जो हो रहा,
अपनों को बिना बुलाए दूसरों के
के संग उत्सव मना रहा।

जमाना आजकल जो हो रहा,
बड़ों की करतूतें देख छोटा सब सीख रहा।

जमाना आजकल जो हो रहा,
बच्चे पढ़ाई कम ज्यादा मोबाईल चला रहा।

जमाना आजकल जो हो रहा,
लोग सुपाच्य भोजन छोड़ फास्ट फूड खा रहा।

जमाना आजकल जो हो रहा,
लोग विषाक्त भोजन खाकर बीमार है पड़ रहा।

जमाना आजकल जो हो रहा,
रोगी के नाम पर डाॅक्टर है लाखों- लाख लूट रहा।

जमाना आजकल जो हो रहा,
बहुत बात है, पर अब लिखने का मन नहीं कर रहा।


नीतू रानी
स्कूल -म०वि०सुरीगाँव
प्रखंड -बायसी
जिला -पूर्णियाँ बिहार।

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