माँ जीवन का आधार-स्वाति सौरभ

माँ जीवन का आधार

तू त्याग का प्रतीक है, तू जीवन का संगीत है
तू धरा स्वरूप है, तू नारीशक्ति रूप है।

तू निराशा में भी आशा है, जिसकी नहीं कोई परिभाषा है।
तेरी डांट में भी प्यार है, तू अपनेपन का एहसास है।

तू सृजन का सम्मान है, तू बलिदान का पहचान है।

तेरा स्नेह और प्यार जैसे, अनंत आसमान है।

तू चेतना की ज्योति है, तू अनमोल जैसे मोती है।
तेरा स्पर्श मात्र औषधि है, जो हर पीड़ा हर लेती है।

तू निर्मल निरंतर धारा है, तू जीत का जयकारा है।
तू अखंड प्रज्वलित ज्वाला है, तेरा रूप ही निराला है।

तू ममता की शीतल छाया है, जिसने जीवन जन्नत बनाया है।
तू मेरे जीने का सहारा है, जिसने जिंदगी को संवारा है।

तेरी आंचल में सारी दुनियाँ समाई है,
तेरे बिना है लगती, जग ये पराई है।

बिन बोले समझ लेती, तू मेरी सारी बात है,
कोई बाल ना बांका कर सके, तू जो मेरे साथ है।

ये शब्द भी तेरे आगे, निःशब्द और निःशक्त है,
असंख्य अर्थ बताती वो, माँ ही एक शब्द है।

ऐसा इस जहाँ में, और कोई कहाँ है
वो तो मेरी माँ, और केवल एक माँ है।

स्वाति सौरभ
आदर्श मध्य विद्यालय मीरगंज
आरा नगर भोजपुर

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