गुरु हमारे वो कहलाते – सुरेश कुमार गौरव

 

ज्ञान चक्षु से जो सिखलाते

सही-ग़लत को जो समझाते,

विषयक ज्ञान सदा जो देते,

नैतिक मूल्यों को बतलाते,

व्यवहारिकता को जो समझाते,

गुरु हमारे वो कहलाते।

नैतिकता का सदा जो पाठ पढ़ाते,

कर्तव्य पर आरुढ़ चलना सिखलाते

लाख तूफानों से लड़़ना बतलाते,

ज्ञान-दीप की ज्योत दिखलाते,

अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाते,

संस्कार के सभी गुण जो सिखलाते,

गुरु हमारे वो कहलाते।

अनुशासन की नींव जो डालते,

जीवन के कई अधिमान बताते,

कर्तव्य न अपना छोड़ सिखाते,

त्याग समर्पण को सदा बतलाते,

गुरु हमारे वो कहलाते।

सबको ज्ञान सदा बाँटते जाते,

दिवस दर दिवस ज्ञान बढ़ाते,

शिक्षार्थी की ताकत होती कलम,

कलम है तलवार से बढ़कर,

कलम को अपना हथियार बताते,

शिक्षार्थी को सु-पथ पर जो ले जाते,

गुरु हमारे वो कहलाते।

दुनिया में गुरु के बिना ज्ञान नहीं

लाख कंटकों से पार करना सिखलाते,

कठिन प्रश्न को हल कर्ता बन जाते,

दिन दुनिया की हर खबर बतलाते,

कुशल व्यवहार पाठ जो पढ़ाते,

चरित्रवान जो हमें बनाते,

गुरु हमारे वो के कहलाते।

अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाते

मार्गदर्शन सही हमेशा जो देते,

गुरु शिष्य की परंपरा में,

रोज जीवन में नया रंग हैं भरते,

पृथ्वी से तारों के बीच का विज्ञान,

इतिहास, भूगोल एवं भाषा ज्ञान,

अक्षर ज्ञान की ऊँचाई पर ले जाते,

गुरु हमारे वो कहलाते।

कलम से कलमकार बनाते

मुखवाणी एवं आशीर्वचनों से

देश धर्म की बात सिखाकर

देशहित पर चलना सदा बताते

कर्मवान बन जीवन पथ के

भूले पथिक को राह दिखाते

गुरु हमारे वो कहलाते।

गुरु की महिमा है अपरम्पार

अपनी जीवन वाणी देते जाते,

अमृत-विष का भेद बता,

ऊँच-नीच से उपर उठकर,

भेद रहित जीना सिखाते,

गुरु हमारे वो कहलाते।

सभी गुरुजनों को है सदा नमन

हमको दिया शिक्षा रुपी चमन,

जब भी होते सदा ही भरते

जीवन ज्ञान वे देते जाते,

गुरु हमारे वो कहलाते।

सुरेश कुमार गौरव ‘शिक्षक’

उ. म. वि. रसलपुर, फतुहा, पटना (बिहार)

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