कोरोना योद्धा-प्रभात रमण

कोरोना योद्धा

छोड़ के अपना घर द्वार
छोड़ दिया हूँ मैं परिवार
लोगो की सेवा करने को
हर पल मैं तैयार हूँ ।।
विधि व्यवस्था संधारण को
कभी पुलिस बन जाता हूँ ।
रोगों को दूर भगाने वाला
मैं चिकित्सक कहलाता हूँ ।
कभी साफ सफाई करने को
सफाईकर्मी बन जाता हूँ ।
जो जहाँ भी है बीमार
वही बन जाता मेरा संसार ।
न जान की मुझको चिंता है
न मान की मुझको अभिलाषा
न भूख प्यास की फिक्र कभी
न आराम की प्रत्याशा
सबकी परेशानी हरता हूँ
मैं सबका मददगार हूँ
हर पल मैं तैयार हूँ ।।
न पर्व है न त्योहार है
न मेरे लिए दिन रात है
न सर्दी है न गर्मी है
न मेरे लिए बरसात है
आंधी में डटा रहता हूँ
तुफानो में बढ़ता हूँ
कभी लाठी और कुदाल लिए
कभी आला से लड़ता हूँ ।
कभी चोर बदमाश उच्चकों से
कभी बूढ़े तो कभी बच्चों से
कभी गन्दगी भरे
सड़कों, नालों से भिड़ता हूँ ।
सबके कष्ट मिटाता हूँ
अपने दुःख को भुलाता हूँ ।
मेरी वजह से
सबकी चिंता मिटती है ।
मेरी वजह से ही
हर परेशानी पीछे हटती है ।
मैं भी चाहता बस सम्मान और प्यार हूँ ।
अब, हरपल मैं तैयार हूँ ।।

प्रभात रमण
मध्य विद्यालय किरकिचिया
फारबिसगंज अररिया

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