मन की अभिलाषा-नरेश कुमार निराला

मन की अभिलाषा

हिन्दुस्तान का कलमकार हूँ
लिखने की जिज्ञासा है,
भारत फिर से बने विश्व गुरू
मन में यह अभिलाषा है।

पूरब-पश्चिम उत्तर-दक्षिण
चारों ओर खुशहाली हो,
बाग-बगीचा वन-उपवन से
अचला पर हरियाली हो।

सदानीरा नदियों में निरंतर
अविरत रहे जल की धारा,
प्रगति के पथ पर देश बढ़े
सदा स्वस्थ्य रहे जगत सारा।

प्रेम भाव हो सब जीवों से
सबका मान और सम्मान हो,
करूणा स्त्रोत बहे दुखियों पर
चाहे श्रमिक, मजदूर किसान हो।

अंशुमाली कि किरणों के जैसे
सबके मुख पर लाली हो,
प्रेम-भाव सदा हृदय में उपजे
मानव की ममता मतवाली हो।

शांति, सुकून और खुशियों का
चारों दिशाओं में बौछार हो,
सबको मिले समकोटीय शिक्षा
बच्चे में अच्छे संस्कार हो।

माता-पिता का आदर हो
गुरूजनों को सम्मान मिले,
मैं और तुम का भेद मिटे
सबको सच्चा ज्ञान मिले।

स्वरचित एवं मौलिक
नरेश कुमार “निराला”
प्राथमिक विद्यालय केवला
छातापुर, सुपौल

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