मकरसंक्रांति-कुमकुम कुमारी

मकरसंक्रांति

देखो-देखो आया मकरसंक्रांति का त्योहार,
जन-जन में छाया देखो खुशियाँ अपार।
घर-आँगन बुहारे मिलकर नर-नार,
सूर्य अराधन को देखो बच्चे भी हैं तैयार।

सूर्य देव तो हैं हमारे जीवन आधार,
इनके उत्तरायण से हुआ जग खुशहाल।
धूप-दीप, तिल-गुड़ से करे पूजन नर-नार,
दान देकर देखो कमाए पुण्य अपार।

प्रकृति ने भी किया देखो सोलह श्रृंगार,
बसंत ऋतु के आगमन से होता जग खुशहाल।
मकरसंक्रांति की महिमा है अपरम्पार,
दिन-दुखियों को गले लगा करें मानवता का विस्तार।

पतंग की डोर हाथ लिए दौड़े सुकुमार,
झूम-झूम, नाचे-गाए देखो नर-नार।
खेत-खलिहानों में लगा अन्न का भंडार,
मकरसंक्रांति लेकर आया खुशियाँ अपार।

कुमकुम कुमारी
मध्य विद्यालय बाँक
शिक्षिका
मुंगेर, बिहार

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