साइकिल की सवारी- नरेश कुमार “निराला”

साइकिल की सवारी

दो पहिये की अनोखी सवारी
हर बच्चे को लगती है प्यारी,
अनपढ़-ज्ञानी इसे सभी चलाते
होती न किसी को कोई बीमारी।

इसकी कीमत काफी कम है
बिना ईंधन यह चलती जाती,
जब जी चाहे इसे ब्रेक लगाओ
तुरंत वही पर है रूक जाती।

पैडल मार साइकिल चलाकर
मंजिल की ओर बढ़ते जाओ,
सामने तम्हें जब भी कोई दिखे
 दूर से टन-टन-टन-टन घंटी बजाओ।

पर्यावरण प्रदूषण का खतरा नहीं
शान से करो साइकिल की सवारी,
शरीर की मांसपेशियां मजबूत होगी
पास न फटकेगी कभी कोई बीमारी।

लाइसेंस की जरूरत नहीं पड़ती
संभल-संभल के आगे बढ़ते जाओ,
यातायात नियमों का पालन करके
जहाँ जरूरत हो वहाँ ब्रेक लगाओ।

हर साल तीन जून को पूरी दुनिया
“विश्व साइकिल दिवस” मनाती है,
फर्राटा भरती साइकिल की सवारी
बचपन के दिनों की याद दिलाती है।

@रचनाकार-
नरेश कुमार “निराला”
सहायक अध्यापक
छातापुर, सुपौल
9113793549

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