सच्चा मित्र-प्रीति कुमारी

सच्चा मित्र
मित्र वो जो सही राह दिखाए,
वो नहीं जो बुरे काम कराये ।
विपदा में भी साथ खड़ा हो,
दुश्मन के सामने अड़ा हो।
पिता की तरह सीख दे सके,
भाई की तरह प्यार दे सके ,
माँ की तरह वात्सल्य लुटाकर,
बहन के जैसा मान दे सके ।
जीवन का जैसे अभिन्न अंग हो,
जीने मरने का साथ संग हो
मित्र से कोई भेद छुपे न,
मित्र हो जैसे अनावरण हो ।
मित्रता के हैं अनेक उदाहरण,
कृष्ण-सुदामा राम-विभिषण ।
पृथ्वीराज और चन्दवरदाई,
लगते जैसे हों भाई-भाई ।
मित्रता है एक अनोखा रिश्ता,
चमके नभ में चांद-सूरज सा
जग में ऐसा कोई नहीं है
बिना मित्र के जो एकल है ।
मित्रता है एक ऐसा बन्धन
भाव-विभोर कर दे अन्तरमन ।
परन्तु आज कल मिथ्या है सब,
मित्र भी पीछे से वार कर रहे
नैतिकता का ह्रास कर रहे,
कहने को तो मित्र हैं सारे,
पर वो हमारा नाश कर रहे ।
ऐसी मित्रता करना नहीं भाई,
जो ना जाने पीड़ पराई ।
भीड़ में चाहे एक ही मित्र हो,
करे सुवासित जैसे इत्र हो ।
जो अन्तर की पीड़ा हर ले,
जीवन को खुशियों से भर दे ।
मित्रता पर हो हमको गर्व,
हो जैसे पावन कोई पर्व।
सच्चे मित्र की है पहचान
मित्र-मित्र का रखे मान ।

प्रीति कुमारी
कन्या मध्य विद्यालय मऊ

विद्यापति नगर समस्तीपुर

Leave a Reply