जाते हुए ऐ लम्हें विदा हो रहे ऐ वक्त फिर लौटकर, यह दिन मत दिखलाना ! कोरोना काल के इस भया भय इतिहास को मत दुहराना !! 🕰️ कितने हो गए…
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वीरहन के बसंत-आर. पी. ‘राज’
वीरहन के बसंत गलवान घाटी के वीरहन के आँसु में, वसंती बहार बह़ गईल। कइसे हो स्वागत बसंत के हीयरा के सगरी अरमान ऑंसुअन मे द़ह गईल। छुट्ल न महा़वर…
शरद पवन-मनोज कुमार दुबे
शरद पवन यह शरद पवन मतवाली है चहूं ओर कुहासा धुंध लिए दिखता नही सूरज किरण लिए अग्नि के लपटों से सटकर जीवन की साथ बस खाली है यह शरद…
विद्यालय में-विजय सिंह नीलकण्ठ
विद्यालय में बिन बच्चों के मन नहीं लगता गुरुजी को विद्यालय में खाली बैठकर समय बिताना पड़ता है विद्यालय में। कोरोना ने बंद कर दिया बच्चों का स्कूल आना बैठ…
क्यों रोती है बेटियाँ-भोला प्रसाद शर्मा
क्यों रोती है बेटियाँ जन्म लेकर क्या गुनाह किया पापा की बेटियाँ, दो आँगना की फुलवारी है फिर भी क्यों रोती है बेटियाँ। दो कुल को रौशन किया पापा की…
अन्तर्व्यथा-जैनेन्द्र प्रसाद रवि
अन्तर्व्यथा हे प्रभु! है अर्ज हमारी ऐसा समय न आए फिर से। आस पास रहकर भी हम मिलने को आपस में तरसे।। हाथ में पैसा रखा रह गया मिला न…
दीन हीन आँखें-देव कांत मिश्र
दीन-हीन की आँखें मैंने इस लॉकडाउन में एक दीन-हीन व्यक्ति को देखा पहले जैसा हँसमुख नहीं ख़ामोश व ग़म के आँसू पिए चेहरे पर उदासीनता की रेखा उसकी आँखें कह…
अत्याचार-प्रभात रमण
अत्याचार माता की ममता हार गई हारा पिता का प्यार है भाई का स्नेह भी हार गया बहन तो सर का भार है ये कैसा अत्याचार है ? जो घर…
मधुमख्खी का डंक-रीना कुमारी
मधुमख्खी का डंक ओ मधुमख्खी रानी, ओ मधुमख्खी रानी। तुने खुब बनाई अपनी कहानी।। एक गाँव की सुनो कहानी, ना कोई राजा न कोई रानी। एक परिवार में दो बच्चे…
दो जून की रोटी-संयुक्ता कुमारी
दो जून की रोटी किस्मत से नसीब होती है दो जून की रोटी। चहुँ ओर कोरोना हाहाकार मचाये दुनिया है परेशान, विवश और लाचार मजदूर हुए हैं। असमर्थ और परेशान…