पावन कार्तिक मास में, करें छठी का ध्यान। गुणवंती करुणामयी, महिमा बड़ी महान।। जग की आत्मा सूर्य को, करें नित्य प्रणिपात। जीवन प्राणाधार हैं, अंशुमान अवदात।। रवि उपासना पर्व है,…
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दोहावली – देव कांत मिश्र ‘दिव्य’
दीप जलें जब द्वार पर, मिलता नवल प्रकाश। खुशियाँ अंतस् तब मिलीं, हुआ तिमिर का नाश।। दीप अवलि में सज उठे, करते तम को नष्ट। दीन-हीन को देखकर, हरिए उनके…
दोहावली – देव कांत मिश्र ‘दिव्य’
चंद्रयान है चाँद पर, हर्षित भारत देश। वैज्ञानिक सब धन्य हैं, देख सुखद परिवेश।। जय जय भारत देश में, जय जय है विज्ञान। चंद्रयान अभियान से, बढ़ा जगत् में मान।।…
बेटी – देव कांत मिश्र ‘दिव्य’
ममता बड़ी प्यारी है, समता बड़ी न्यारी है, बेटी ही तो बनती माँ, माँ की परछाईं है। मानवता की जान है, देश का अभिमान है, नील गगन से जाके, आँख…
कुंडलिया – देव कांत मिश्र ‘दिव्य’
बेटी से नित बढ़ रहा, आज देश का मान। बेटों से आगे सदा, रहते इनके काम।। रहते इनके काम, देश की शान बढ़ाती। यही सृष्टि का धाम, यही संसार रचाती।…
प्रेरणा गीत: सीखो – देव कांत मिश्र ‘दिव्य’
प्रतिदिन अपनी माँ से सीखो करुणा को बरसाना। प्रेम-भाव से सिक्त हृदय में सौम्य सुमन महकाना।। अनुशासन चींटी बतलाती गुण ऐसा नित भरना। सत्य मार्ग पर चलने में तुम कभी…
दोहावली – देव कांत मिश्र ‘दिव्य’
हिंदी अमरतरंगिनी, जन-जन की है आस। सच्चे उर जो मानते, रहती उनके पास।। हिंदी भाषा है मधुर, देती सौम्य मिठास। शब्द-शब्द से प्रीति का, छलक रहा उल्लास।। जन-जन की भाषा…
दोहावली – देव कांत मिश्र ‘दिव्य’
भारत देश महान है, पावन जिसका नाम। ज्ञान-चक्षु से देखिए, निर्मल है अभिराम।। आजादी का अर्थ यह, करें देश-हित काज। धैर्य लगन से हों सतत् , देश बने सरताज।। आजादी…
कुंडलिया – देव कांत मिश्र ‘दिव्य’
आया सावन झूमकर, हर्षित हुए किसान। हरी-भरी यह भूमि हो, यही हमारी आन।। यही हमारी आन, सदा गुण ऊर्जा भरिए। रिमझिम सौम्य फुहार, प्रीति-सा जीवन करिए।। मधुरिम भावन गीत, मुदित…
दोहा – देव कांत मिश्र ‘दिव्य’
दीप जलाकर ज्ञान का, करिए गुरु का गान। चरण शरण रहकर सदा, तजिए निज अभिमान।। गुरुवर प्रतिदिन शिष्य को, देते नैतिक ज्ञान। मन वचनों से कर्म से, करें नित्य सम्मान।।…