हिंदी का सम्मान – संजय कुमार सिंह

हिंदी का सम्मान कहां है,राष्ट्र का अभिमान कहां है। सिमटी हैअस्तित्व बचाने,ऐसा भी सौभाग्य कहां है।। घर की मुर्गी दाल बराबर,आन गांव का सिद्ध यहां है। अंग्रेजी बन बैठी रानी,…

बिटिया – मीरा सिंह ‘मीरा”

बिटिया है पहचान हमारी बिटिया है अरमान हमारी। घर आंगन की रौनक बिटिया होठों की मुस्कान हमारी। हर बाधा से टकराती है बिटिया रखती मान हमारी। आंखों की पुतली लगती…

बेटी दिवस पर समर्पित – मणिकांत मणि

हर घर-घर की मान है बेटी। माथे का स्वाभिमान है बेटी। जीवन के अरमान है बेटी। वसुंधरा पर गुमान है बेटी। जिसके घर न बेटी जन्मी, बेटी खातिर तरस रहा।…

बेटियाँ – रूचिका

बेटियाँ बनकर रहमत जिंदगी में आती, गौरैया सी आँगन में फुदक फुदक कर, घर आँगन की देखो शोभा है बढाती, जोड़ती है दो परिवारों को अपने प्रेम से कुछ इस…

शैक्षणिक गतिविधि – नीतू रानी

आओ बच्चों सब मिलकर करना आज शैक्षणिक गतिविधि, अगर थक जाएगा तो थोड़ा लेना पानी पी। चित्र बनाना, गाना, गाना नाचना, खेलना रहना खुश, आज पिलाएँगे तुम सबको हम ठंडे…

प्रकाश का परावर्तन – ओम प्रकाश

किरणें जो सतह से टकराए कहलाती हैं आपतित, टकरा कर लौटती किरणें कहलाती हैं परावर्तित.. हो सतह यदि चिकनी-समतल तो परावर्तन होता है नियमित, हो सतह रुखड़ी, उबड़-खाबड़ तो परावर्तन…