पुरातन से ओजस्विता लिए , विचरण हम जब – जब करते हैं । सत्य -दृढ़ अनुशीलन पर , तब मार्ग प्रशस्त हम करते हैं । यह संधिकाल सुकर्म का है…
अटल बिहारी वाजपेयी-अश्मजा प्रियदर्शिनी
अखण्ड भारत का अलख जगाए सुस्मित हर्षित होते रहे। काँटों भरी सत्ता के गठबन्धन में सुवासित बढते रहे। ‘सत्ता के लालची’ शब्दों की राजनीति में भी निखरते रहे। कर्मो के…
कर्म -वाणी-अमरनाथ त्रिवेदी
जिस ओर हम पग धरें , सुकर्म सम्मत नीति से । फिर हार हो सकती नही , चाहे कोई भी छल रीति से । प्रयास से पूर्व समर में ,…
सच्चा पुरुषार्थ-अमरनाथ त्रिवेदी
है पुरुष वही सच्चा जिसमे , पुरुषार्थ भरा हो तन – मन मे । जीवन जीता हो परहित में , न बैर रखता अन्तर्मन में । प्रतिपालक हैं भगवान सभी…
जय माँ सरस्वती-सुधीर कुमार
मनहरण घनाक्षरी वर्ण — ८ ,८ ,८ ,७ अंत – लघु , दीर्घ वीणा पाणि मात मेरी , दया मिले हमें तेरी , शिशु हमें जान जरा , अंक भर…
मानव दर्शन – अमरनाथ त्रिवेदी
मानव जीवन से नित आस यही , मिटे भ्रम , भय , कुशिक्षा । सुसंस्कार समाहित हो जग में , हो जन -जन की यह प्रबल इच्छा । जन-जन में…
प्रथम रश्मि – मनु कुमारी
प्रथम रश्मि का आना रंगिणी! तूने कैसे पहचाना? कहां – कहां हे बाल हंसनि! पाया तूने यह गाना? सोये थे जो नन्हें पौधे,अलसाई दुनियां में मन्द – मन्द हवा के…
आज वीरान क्यों है- जयकृष्णा पासवान
आज धरती पर आसमां, वीरान क्यों है। चांद और सितारे, भी तो वहीं है। मगर हवा की सुर्खियां, इतना परेशान क्यों है।। हरेक-लम्हों की बेचैनी, ईंटों के दिवारों में दिखती…
नशा मुक्ति- अमरनाथ त्रिवेदी
नशा सेवन करने से , कितने घर बर्बाद हुए ? शत्रु जिसको समझा आपने , उसके घर आबाद हुए । नशा छोटी हो या बड़ी , दुखदायी बड़ी होती है…
ठ्काय गेला- जयकृष्णा पासवान
अंगिका आज को दिन कहिन्ह, उदास लागैय छै । वार-वार हमरा कहिन्ह, प्यास लागैय छै ।। ग़रीबी के पसीना हम्म, गमछी स पोछला । कि करबै हम्म केकरो, नाय पुछला…