शरद्ऋतु- जैनेन्द्र प्रसाद ‘रवि’

सूरज दादा शांत पड़े हैं जाड़े ऋतु से डरकर, सीना तान खड़ा हुआ शरद्ऋतु जब तनकर। चाय-कॉफी सबका मन भाए, अंडा मांस मछली, एसी,कूलर,फ्रीज की हालत अब हुई है पतली।…

राष्ट्र नेता- अश्मजा प्रियदर्शिनी

रक्त से लिखी गई गाथा जिनकी, बल-बलिदान अहिंसा बने आदर्श। राष्ट्र के प्रति सहज विश्वास के प्रतीक उस श्रद्धा समर्पित राष्ट्रनेता को, वन्दन है बारंबार। जिनके पाथेय, आदर्श सुना पढाए…

बसंत बहार- जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

घनाक्षरी छंद में (१) बागों में बहार आई, मन में उमंग छाई , भांति-भांति फूल देख, छूटे फुलझड़ियां। जहां भी नज़र जाए, सुन्दर सुमन भाए, दूर-दूर तक लगी, पुष्पों की…

कलयुग सा संसार- नीतू रानी

ये है कलयुग सा संसार जिसमें है दुखों का भंडार, यहाँ लड़ाई-झगड़े रोज हैं होते होते हैं मारकाट। ये है कलयुग———२। यहाँ लोग मोह- माया में लिपटे और पँच पाप…

मनहरण घनाक्षरी- एस.के.पूनम

छंद:-मनहरण घनाक्षरी “सियाराम” पहनते पीताम्बर,सियाराम साथ-साथ, भोर उठे साथ चले,प्रीतम का प्रीत है। हाथ पकड़े सिया का,कभी न अलग हुआ, घर-बार सब छुटा,करुणा अगीत है। तरनी में नाव चली,वानरों की…

जिंदगी का सफ़र- जयकृष्णा पासवान

घटा बनके मस्त गगन में, कजरी संग झूम जाता है। “राहों के मुसाफिर” यादों में बहकर।। सपनों का ख़्वाब सजाता है, “चुपके से देख कर फूल और” कलियां मनही मनमुस्कुराती…