आराधना कर ले- एस.के.पूनम

🙏कृष्णाय नमः🙏 विद्या-मनहरण घनाक्षरी 💐(आराधना कर ले)💐 राधे बोल राधे बोल, कृष्ण बोल कृष्ण बोल, रोज भज राधा-कृष्ण,सुमिरन कर ले। नाम जप तप कर, ध्यान किया दु:ख हर, धरा पर…

नहीं परेशान हों- एस.के.पूनम

विद्या:-मनहरण घनाक्षरी🌹 शीत का शीलन घटे, ऊर्जा का प्रवाह बढ़े, खेत-खलिहान सजे,सुखद किसान हो। गेहूं की बालियां झुमे, खर-पतवार दिखे, हसुआ लेकर काटे,यही परवान हो। समीर बदला रूप, उष्णता शीतल…

ठंड कटे कोट से- एस.के.पूनम

विद्या:-मनहरण घनाक्षरी निकली है हल्की-हल्की, कहीं धूप-कहीं छांह, मौसम बेदर्द बना,पवन की चोट से। ताक-झांक कर रहा, बारबार झरोखों से, लालिमा दिखती नहीं,बादलों के ओट से। बूंदाबांदी होती रही, भरा…

पाप कर्म से डरें- एस.के.पूनम

विद्या:-मनहरण घनाक्षरी सीताराम-सीताराम,नयनाभिराम राम, प्रातःकाल नाम लेके,सूर्य को नमन करें। संसार है आलोकित,सूरज के प्रकाश से, ऊर्जा का संचार कर,तन का पीड़ा हरे। रौशन है हर राह,धूंध का निशान नहीं,…

नमन युवा शक्ति विवेकानंद- एस.के.पूनम

मनहरण घनाक्षरी(पहचान है) राष्ट्र धरोहर कहूँ, कहूँ चिन्तक साधक, युवा किया अभिमान,दिलाया सम्मान है। नरेंद्र झुकाए शीश, मिला गुरु का आशीष, वतन करता प्यार,भारत का मान हैं। भक्ति है शक्ति…

शीत का भरण है- एस.के.पूनम

विद्या:-मनहरण घनाक्षरी ठंडी-ठंडी हवा चली, शीत यहाँ खूब पली, आलाव है जल पड़ी,ठंड में शरण है। अंशु-अंशु कह पड़ा, करबद्ध रहा खड़ा, न जग से छीने ताप,शीत में मरण है।…

बीत गई बात वो- एस.के.पूनम

विद्या-:- मनहरण घनाक्षरी जीवन का नवरंग,इंद्रधनुष-सा अंग, धरा पर छाया कण, मिल गया जात को। मुस्कुराया अंशुमन,तप गया मेरा मन, मुरझाये पुष्प धरा, तपिश से मात जो। सूरज लोहित मला,प्रकृति…

सूरज महान है-एस.के.पूनम

विद्या:-मनहरण घनाक्षरी व्योम,धरा प्रभा भरी,उष्णता से शीत डरी, दूर किया थरथरी,यही पहचान है। अश्व पर बैठ चले,संसार में ज्योत जले, फल,फूल खुब फले,सूरज की शान है। गगन चमका तारा,भुला गिनती…

आनंद का पल है -एस.के.पूनम

छंद:-मनहरण घनाक्षरी प्रातःकाल की बेला में,खड़ी यमुना किनारे, गागर भरतीं राधा,लेतीं नदी जल है। आरती माधव संग,बोल उठी अंग-अंग, केशव,मोहन मेरा,आराध्य ही बल है। वाणी मधुर-मधुर,बहती अमृत धार, कृष्ण को…

कृष्ण को प्रणाम है-एस.के.पूनम

मनहरण घनाक्षरी पुकारीं दुलारी राधा,ढूंढ़ती फिरती कान्हा, नयन निहारी राह,पूछी कहाँ श्याम हैं। मुकुट शोभित भाल,बाँहों पर भुजबंध, कंठमाला मोतियों का,वही घनश्याम हैं। यमुना किनारे बंसी,बजाए मुरलीधर, श्रवण करती राधा,केशव…