रूपघनाक्षरी – शृंगार – एस.के.पूनम

ऊँ कृष्णाय नमः विधा:-रूपघनाक्षरी। विषय:-शृंगार। उठती हैं सागर में, तरंगें हजारों बार, सिन्धु करे जल राशि,से शृंगार बार-बार। केवट है नैया पर, गाते गीत मलहार, झूम रहे संगी-साथी,पहुँचे हैं उस…

वसुधा पुकारती – एस. के. पूनम

विधा – मनहरण छंद तड़ाग में भरा पंक, अब खिलेगा सारंग, पुष्प पर बैठे अलि, बना है शरारती। लुभावने लग रहे, ऊँचे-ऊँचे तरुवर, छोटे-मोटे वृक्षों पर, फैल रही मालती। प्रकाश…

है बेबस धरती – एस.के.पूनम

मनहरण घनाक्षरी बहती है कलकल, सोचती है हरपल, सूखे नहीं नीर कभी,यही दुआ करती। तट पर आशियाना, साधु-संतों का ठिकाना, होता यशोगान हरि,वेदना को हरती । गर्भ में जहान पले,…

मधुमास की घड़ी – एस.के.पूनम

काली कच लहराई, विन्यास निखर आई, हाथों में मेंहदी लगे,प्रतीक्षा में थी खड़ी। सोलह श्रृंगार कर, वरमाला डाल कर, साक्षी बने दीया-बाती,चरणों में थी पड़ी। सवार थे अश्व पर, धरा…

उसे नित्य सींचिए – एस.के.पूनम

विधा:-मनहरण घनाक्षरी कानन से वृक्ष कटे, शीत भरी छाया हटे, तप्त हुई वसुंधरा,नीर मत पीजिए। यत्र-तत्र कूडादान, चल पड़ा अभियान, गंदगी से मिले मुक्ति,निर्णय तो लीजिए। मेघपुष्प सूख रहे, जीव-जंतु…

कसक किसानों की – एस.के.पूनम

🙏ऊँ कृष्णाय नमः🙏 विधा:-मनहरण घनाक्षरी (कसक किसानों की) लालिमा के संग जागे, टोकरी उठाए भागे, ढूंढ रहे फलियों में,श्रमदान महानों की। पग धरे तप्त धरा, सूख गए बाग हरा, कृषक…

वट सावित्री – एस.के.पूनम

त्याग की मूर्ति है नारी, खुशियाँ देती हैं सारी, दिलाती है पहचान,सब कुछ त्याग कर। मायका को छोड़ आती तन,मन,धन,लाती, गागर भरती रही,हृदय में प्रीत भर। जीवन में संग तेरे,…