मन की बात – रत्नेश पण्डित पाण्डेय

बड़े दिनों बाद वह, घर अपने वापस आया बेटी के लिए कुछ गुड्डे-गुड़िए, बेटे को किताबें लाया। बच्चों में कैसा कौतूहल होगा, सोचा और मुस्काया, बड़े दिनों बाद वह, जब…