कर्मयोगी – कुमकुम कुमारी “काव्याकृति”

जीवन में कुछ करना है तो, मन को मारे मत बैठो। बनकर दीन–हीन ऐ बंदे, हाथ पसारे मत बैठो। माना अगम अगाध सिंधु है, हार किनारे मत बैठो। छोड़ शिथिलता…

मैं देश नहीं लूटने दूँगा-कुमकुम कुमारी

मैं देश नहीं लूटने दूँगा मैं देश नहीं लूटने दूँगा, मैं देश नहीं मिटने दूँगा। चाहे जान जाए तो जाय, पर तिरंगे को नहीं झुकने दूँगा। मैं देश ………………….. इस…

शिक्षक-कुमकुम कुमारी

शिक्षक हाँ मैं एक शिक्षक हूँ। शिक्षक होने का दंभ मैं भरता हूँ। राष्ट्र निर्माता होने पे गर्व मैं करता हूँ। हाँ मैं एक शिक्षक हूँ। यह सच है कि…