आदर्श-विजय सिंह नीलकण्ठ

दर्श

सुनने में लगता सरल
लेकिन रहता काफी विरल
पर जिसके पीछे लग जाए
बना दे उसे निर्मल।
गाँव शहर व विद्यालय
मानव के पीछे भी लगते
चर्चाएँ होने लगती
इससे पशु-पक्षी भी सजते।
बन जाते सब हैं महान
जिसके लग जाए पीछे स्थान
बाकी जीवन कभी न थकते
ऐसों का गाकर गुणगान।
इसके पीछे चलने की
गर भावना मन में आ जाए
बुराई का अंत दिखेगा
अच्छाई भी छा जाए।
कुछ जन में है एक बुराई
न आदर्शों पर चलते हैं
स्वयं को सर्वज्ञ मानकर
सदा असफल रहते हैं।
आदर्शों पर चलकर ही
हर कार्य सफल हो जाते हैं
इसीलिए सब ज्ञानी जन
इसे हीं तो अपनाते हैं।
चलो सभी जन मिल जुलकर
आदर्शों का पालन कर लें
दुःख के दिन भाग जाएँगे
खुशियों में जीवन जी लें।

विजय सिंह नीलकण्ठ
सदस्य टीओबी टीम

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