आस में(ग़ज़ल)- राम किशोर पाठक

Ram Kishore Pathak

आस में – गजल

क्या रखा है किसी की हर आस में।
सफलता होनी चाहिए पास में।।

बेशक मुझे दुनिया नहीं जानती।
किसी के लिए मैं भी हूँ खास में।।

कद्र मेरी भले ही आप न करें।
फिर दर्द क्यों है हर एहसास में।।

है गिला तो खुलकर बताओ मुझे।
कोई गाँठ न हो इस विश्वास में।।

आँखों में तेरे है नमी कैसी।
दो पल तो साथ रहें उल्लास में।।

कहते हो कि हम याद नहीं रखते।
बसा लिए फिर क्यों अपने रास में ।।

धड़कन सा हूँ, कोई छाया नहीं।
जो छोड़ दूँ साथ सदा उजास में।।

रचयिता:- राम किशोर पाठक
प्रधान शिक्षक
प्राथमिक विद्यालय कालीगंज उत्तर टोला, बिहटा, पटना, बिहार।
संपर्क – 9835232978

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