अदना सा इंसान-सैयद जाबिर हुसैन

Zabir hussain

अदना सा इंसान 

मै एक अदना सा इंसान
दुःख दर्द में पला बढ़ा
मगर माँ के आँचल की वो छाँव,
स्वर्ग से भी बेहतर था।

पिता की वो चाहतें,
आसमाँ सा बढ़कर, बुलंदियों के अरमान
अरमानों को संजोए चल पड़ा में पथ पर,
मै एक अदना सा इंसान।

पाना है उस मुकाम को
फूल मिले या काँटे,
पूरा करना है उस अरमान को,
तन्हाइयों के बेडो में,
एक अदना सा इंसान को।।

सैयद जाबिर हुसैन
न्यू प्राथमिक विद्यालय बहुआरा
कुदरा, कैमूर, बिहार

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