ऐसे थे मेरे प्यारे बापू-एम एस हुसैन

ऐसे थे मेरे प्यारे बापू

सरल हृदय का व्यक्ति था
शांत, सौम्य भाव समंदर ।
जन्म हुआ था जिनका
गुजरात के पोरबंदर ।
जन्मतिथि दो अक्टूबर
अठारह सौ उनहत्तर ।
करते थे वे समाज सेवा
थे वे काबिल बैरिस्टर ।
शुभ नाम था जिनका
मोहन दास करमचंद ।
जिन्होंने पूरी की पढ़ाई
लंदन शहर में रहकर ।
गाँधी जी ने बहुत सहे
अत्याचार अपने ऊपर ।
फेंका जा रहा था उन्हें
कभी ट्रेन से उठाकर ।
जब वह आए स्वदेश
लंदन से निकल कर ।
भारत हो रहा था त्रस्त
स्थिति हो गई थी जर्जर ।
गाँधीजी को नहीं भाया
ऐसी स्थिति को देखकर ।
लोग परेशान हाल थे
अँग्रेजी गुलाम बनकर ।
देना पड़ता था लोगों को
बिना किसी औचित्य कर ।
गाँधी जी ने बैठक कराई
लोगों को बुलवाकर ।
लोगों से सुझाव मांँगा
उनके घर-घर जाकर ।
गाँधीजी ने नेतृत्व किया
अपनी हिम्मत जुटाकर ।
बने वह आंदोलनकारी
लोगों को साथ रखकर ।
गाँधी जी ने लड़ी लड़ाई
अंग्रेजों के साथ डटकर ।
माँ भारती के लाल लड़े
सर पे कफन बांँध कर ।
अँग्रेजों को जाना पड़ा
भारत को छोड़ कर ।
अँग्रेज तो चले गए मगर
छोड़ा देश को बांँट कर ।
गाँधी जी के बदौलत ही
तो हम जी रहे हैं हंँसकर ।
गाँधी जो चले पूजा को
नाथू चलाई गोली छुपकर ।
गाँधी जी जाना पड़ा अंत में  
पावन भूमि को छोड़कर ।
मैं भी बनूँ महान उनके ही
नक्शे कदम पर चलकर ।

एम० एस० हुसैन “कैमूरी”
उत्क्रमित मध्य विद्यालय
छोटका कटरा
मोहनियां कैमूर बिहार

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