अमृतपान करे संसार
शरद पूर्णिमा की शीतल किरणें
चमक रही है हर कण-कण में
शीतल चांदनी शुभ संदेश लिए
फैली अवनि, अम्बर, आँगन में।
प्रफुल्लित हुई मतवाली धरा
झूम रही है हरित लताएँ चांदनी में
हुई मदमस्त शीतल पवन और
मन डोल रहा है मन्द हवा के झोंके में।
अमृत सुधा का कलश लिए
आई वैभव माता वसुंधरा पर
श्वेत चादर से सुसज्जित हुई धरा
अमृतमय हुई प्यासी पावन वसुंधरा
और फैला श्वेत प्रकाश कण कण में।
हुआ गगन निर्मल, दुग्ध सी हुई श्वेत
श्वेत धारा से बनी गंगा नीले अम्बर में
गीत गाए भौरें और करे मिष्टी मल्हार
शीतल किरणों से अमृतपान करे संसार
नव चन्द्रमाँ की……….शरद पूर्णिमा में।
मधु कुमारी
कटिहार
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