रूप घनाक्षरी छंद पानी हेतु किसानों की नजरें तरस रहीं, धूल उड़े सावन में देख रहे आसमान। नमी बिना खेतों में ही बिचड़े झुलस गए, सीने बीच किसानों के दब…
Author: Anupama Priyadarshini
तिरंगा – नीतू रानी
तीन रंग का मेरा झंडा कितना सुन्दर प्यारा है, इसको वीर सपूतों ने मिलकर इसे संवारा है। देखो ऊपर लहर रहा है आसमान में फहर रहा है देश -विदेश में…
मनहरण – एस.के.पूनम
पहले भी छोड़ा यान, पहुँचा चँद्रमा पर, भटका था वह राह,गुमनामी में खोया। भारत की गरिमा का, इतिहास है पुराना, अनगढ़ अविष्कार कहने पर रोया। राष्ट्रवाद का अगन अभियान बन…
बरखा बहार – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
बरखा बहार आई मन में उमंग छाई, मोती जैसे आसमान झमाझम बरसे। नई – नई दूब उगी, फसल की आस जगी, मजदूर किसानों के देख मन हरसे। छोटे बच्चे आंगन…
प्रकृति के आगे लाचार – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
छंद -रूप घनाक्षरी अचानक मौसम ने बदला है करवट, आज सारे जीव जंतु गर्मी से गए हैं हार। पसीने से नर-नारी हाल से बेहाल हुए, कर-कर थक गए बरखा के…
दोहा – देव कांत मिश्र ‘दिव्य’
दीप जलाकर ज्ञान का, करिए गुरु का गान। चरण शरण रहकर सदा, तजिए निज अभिमान।। गुरुवर प्रतिदिन शिष्य को, देते नैतिक ज्ञान। मन वचनों से कर्म से, करें नित्य सम्मान।।…
जन्मदिन गीत – नीतू रानी
नाना नाती का मना जन्मदिन, बड़ी धूमधाम से। जन्मदिन के दिन सत्संग भजन हुआ, संतों का मिला आशीष संतों के हाथ से नाना नाती ———2। जन्मदिन के दिन बड़ा केक…
फूल – देव कांत मिश्र ‘दिव्य’
लगते कितने पुष्प अभिराम गहरा चिंतन कर लो मानव। फूलों-सा नित बनिए ललाम करो नष्ट मत बनकर दानव।। फूल प्रकृति का अनुपम उपहार गुण सुरभित पा हंँसते रहिए। करिए जीवन…
श्रावण- देव कांत मिश्र ‘दिव्य’
शुचि मन-भावन श्रावण आया आगत को लख हों पुलकित मन। अम्बर बादल चहुँदिशि छाया। दृश्य मनोहर बरसा-सावन।। कृषक मुदित मन गीत सुनाते रिम-झिम बूँदें हैं हर्षाती। सुमन विटप मन को…
फलों का राजा आम – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
आम का मौसम आया, स्वादिष्ट सौगात लाया, सुन्दर रसीले और भाव-सुर लहरी। कोई खाए आम्रपाली, केशर किशुन भोग, जर्दालु केसर चौसा, मालदा दशहरी। लंगड़ा फजली रत्ना बंबइया अलफांसो, छककर खूब…