ज्ञान के आलोक में , अज्ञानता को छोड़ दो । जलन की ; हठधर्मिता की , सारे बंधन तोड़ दो । ले पताका असीम व्योम में , उड़ चलो तुम…
Author: Anupama Priyadarshini
शरद्ऋतु- जैनेन्द्र प्रसाद ‘रवि’
सूरज दादा शांत पड़े हैं जाड़े ऋतु से डरकर, सीना तान खड़ा हुआ शरद्ऋतु जब तनकर। चाय-कॉफी सबका मन भाए, अंडा मांस मछली, एसी,कूलर,फ्रीज की हालत अब हुई है पतली।…
राष्ट्र नेता- अश्मजा प्रियदर्शिनी
रक्त से लिखी गई गाथा जिनकी, बल-बलिदान अहिंसा बने आदर्श। राष्ट्र के प्रति सहज विश्वास के प्रतीक उस श्रद्धा समर्पित राष्ट्रनेता को, वन्दन है बारंबार। जिनके पाथेय, आदर्श सुना पढाए…
मानवी अभ्युदय के यथार्थ – अमरनाथ त्रिवेदी
समस्त विश्व मे सम्मुख यह काया , सदा -सदा अति न्यारी । प्रेयसी बन विचरण करती यह , कभी माँ की रूप अति प्यारी । बन भगिनी , सुता बन…
चालाक नहीं- अमरनाथ त्रिवेदी
चालाक नही ; बुद्धिमान बनो , कर्मवान बनो ; द्युतिमान बनो । अपमान नही ; सम्मान करो , सबका हित समान करो । अतिशय की भूख नही अच्छी , अतिशय…
बधाई हो -जयकृष्णा पासवान
धरती की तू पताल रस से, विद्या का रसपान किया। बादल- बरसे और बिजली, चमकी फिर दरिया भी तूफान किया।। कश्तियां बनकर डटे रहे, सागर के मंजधार में । साहिल…
बसंत बहार- जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
घनाक्षरी छंद में (१) बागों में बहार आई, मन में उमंग छाई , भांति-भांति फूल देख, छूटे फुलझड़ियां। जहां भी नज़र जाए, सुन्दर सुमन भाए, दूर-दूर तक लगी, पुष्पों की…
कलयुग सा संसार- नीतू रानी
ये है कलयुग सा संसार जिसमें है दुखों का भंडार, यहाँ लड़ाई-झगड़े रोज हैं होते होते हैं मारकाट। ये है कलयुग———२। यहाँ लोग मोह- माया में लिपटे और पँच पाप…
मनहरण घनाक्षरी- एस.के.पूनम
छंद:-मनहरण घनाक्षरी “सियाराम” पहनते पीताम्बर,सियाराम साथ-साथ, भोर उठे साथ चले,प्रीतम का प्रीत है। हाथ पकड़े सिया का,कभी न अलग हुआ, घर-बार सब छुटा,करुणा अगीत है। तरनी में नाव चली,वानरों की…
दोहे- अमरनाथ त्रिवेदी
जीव न काटे काल को ; कालहि काटे जीव , दुनिया ऐसी सिमट गई , पड़ा द्वंद्व में जीव । तीन गति है वस्तु की; दान , भोग और नाश…