योग दिवस-गिरिधर कुमार

योग दिवस योग यह संयोग यह प्रकृति का मेल यह मानव और सृष्टि का कोलाहल से विरक्ति का जीवन का प्रथम स्रोत है यह स्थिर चित्त, मनोयोग है यह। पूरब…

पिता-गिरिधर कुमार

पिता एक बरगद एक असीम सा कुछ वह खड़ा है पार्श्व में हम और हमारी छाया के बीच कहीं… ढूंढो न ढूंढो उसे कोई मतलब नहीं बस तुम्हारी समृद्धि चाहिए…

टूटती कविता-गिरिधर कुमार

टूटती सी कविता रंग चटखने लगे हैं इसके परेशान है कविता कोलाहल से किसी कोविड से किसी यास से किसी ब्लैक रेड फंगस के संताप से। बिखरती चेतना से सहमती…