पितृपक्ष के भाव- अमरनाथ त्रिवेदी

पितृ पक्ष के भाव जिनमें  है पिता की भक्ति ,वही तो पितृ तर्पण करते ।अपने उर में श्रद्धा लेकर ,वही  तो पित्र पूजन  करते । सब पूर्वजों का दिया हुआ…

जाति वर्ण – गिरींद्र मोहन झा

भिन्न-भिन्न जाति, सम्प्रदाय,भिन्न-भिन्न वर्ण और समुदाय,भाषा, राज्य, प्रांत और वतन,भिन्नता सबमें, पर है एक धरम,भिन्न-भिन्न भले सबकुछ, सब असमान,पर एक ही मातृभूमि सबका जन्म-स्थान,वाटिका में भिन्न-भिन्न सा फल-फूल लगे हों,तो…

युग का प्रभाव- जैनेन्द्र प्रसाद रवि

गुरुजनों की भी नहीं,छूते हैं चरण कभी,कहीं दूर जाने वक्त, कहते हैं गुड-वाय। बड़ों को प्रणाम हेतुजोड़ते हैं हाथ नहीं,एक दूसरे को लोग, करते हैं हेलो-हाय। माता-पिता की भी लोगकरते…

विश्वकर्मा पूजा

विश्व रंगमंच  में नवल कृति  सेविश्वकर्मा  जी  महान  है ।उनकी  कृपा  दृष्टि   से हीदमकता यह सकल  जहान है । महिमा है उनकी सारी धरती पर ,वही जीवन के अरमान हैं…

नारी एक कल्पना – बिंदु अग्रवाल

हाँ !मैं कल्पना हूँउस परमपिता परमेश्वर की,जिसने मुझे यह स्वरूप दिया,साथ ही दिया एक कोमल हृदय। सहनशक्ति दी धरती सी,और पवन सा वेग दिया।एक मूक वाणी देकर,इस कठोर जगत में…

जब से आया स्टेफ्री- नीतू रानी

जबसे आया स्टेफ्री,लडकियाँ हो गई बिल्कुल फ्री। न लेना पड़ता है उसे कोई कपड़ा,छूट गया कपड़ा लेने का लफड़ा। बदलती है दिन में दो स्टेफ्री,न रहती है वो अब डरी-…

मत बांधो मेरे पंखों को – बिंदु अग्रवाल

मत बाँधों मेरे पँखों को,मुझे उन्मुक्त गगन में उड़ने दो।अभी जरा बचपन है बाकी,मदमस्त पवन सी बहने दो। अभी उमर चौदह की केवल,अभी मुझे पढ़ना है।अभी तो चलना सीखा मैंने,अभी…

भाषा वही हमारी होती- अमरनाथ त्रिवेदी

भाषा वही हमारी होती हिंदी है मुस्कान हमारी ,यह तो सबकी प्यारी है ।जीवन के सतत संघर्ष में भी ,यह तो सबसे न्यारी है । भाषा वही हमारी होती ,जिसमें…

हिंदी दिवस – पूजा कुमारी

हिन्दी हमारी मान है, हिन्दी हमारी शान है।हिन्दी तो पहचान, हिन्दी में बसती जान है। संस्कृति का अनन्त सागर हैजुड़ी है भारत के 14 भाषाओं सेजन-जन की भाषा है, यहदूर…