रघुनंदन का है शिकार- रामपाल प्रसाद सिंह अनजान

पद्धरी छंदसम -मात्रिक छंद, 16 मात्राएँआरंभ द्विकल से,पदांत Slअनिवार्य रघुनंदन का है शिकार। हर दिशा निशा लो गईं जाग।सबके होंठों पर एक राग।।रावण का करना आज दाह।घर जाते करना वाह-वाह।।…

गुरुद्वार-मैं जाऊंगी बार-बार – नीतू रानी

विषय -गुरुद्वार।शीर्षक -मैं जाउँगी बार -बार। मेरा सबकुछ है गुरुद्वार,मैं जाउंँगी बार- बार। मेरे माता-पिता गुरु हैंमेरे बंधु सखा गुरु,मेरे गुरु जी लगाएँगे बेरापारमैं जाउंँगी बार- बार।मेरा सबकुछ ——-२। मेरे…

आलू रे आलू तेरा रंग कैसा – नीतू रानी

आलू रे आलू तेरा रंग कैसाजिस सब्जी में मिला दूँ लगे उस जैसाआलू रे आलू ———-२। आलू की चटनी बहुत हीं प्यारीआलू की भूजिया बड़ी निराली,ये दोनों भात, दाल पे…

भारत की बेटियां – आशीष अंबर

सारे संसार में नाम कमाया है ,अपनी प्रतिभा का जादू बिखराया है।देश हो या विदेश हर जगह ,भारत की बेटियां अपना लोहा मनवाया है। कल्पना चावला, नीरजा या हो पीटी…

मां भवानी – रामपाल प्रसाद सिंह अनजान

पद्धरी छंदसम -मात्रिक छंद, 16 मात्राएँआरंभ द्विकल से,पदांत Slअनिवार्य। प्रकट सिद्धिदात्री दिव्य भाल।आभासी अतिविकट विकराल।।पूर्ण कर अभ्यागत के आस।भर दें संस्कारित सुर सुभाष।। मात को करे जगत्सत्कार।रे मनमा !अब बचा…

सामाजिक समानता – जैनेन्द्र प्रसाद रवि

मनहरण घनाक्षरी छंद सैकड़ो हैं धर्म-पंथ,जिसका नहीं है अंत,दुनिया में गरीबों की, होती नहीं जात है। दिन भर कमाते हैं,जो भी मिले खा लेते हैं,जहांँ होती शाम वहीं, कट जाती…

अपने सपने – राम किशोर पाठक

अपने सपने- मणिमाल वार्णिक छंद कहता यहाँ हर शख्स है, करता यहाँ पर कौन।जब भी उठी यह बात तो, रहते यहाँ सब मौन।।मिलते हमें अपने सभी, मिलता नहीं कुछ खास।पलकें…

बालमन में मेले का उत्साह – अवधेश कुमार

मेले में छा जाती है,रंग-बिरंगी रोशनी की चमक,गुब्बारे, झूले, मिठाई की महक,आँखों में जाग उठती है नई-नई चमक।बर्गर , मोमोज और आइसक्रीम पर फिसलता जीभ का स्वाद ,पारंपरिक झिलिया मुरही…

माता से विनय – राम किशोर पाठक

माता से विनय- चौपाई छंद सुन लो माता विनय हमारी।तेरी महिमा न्यारी – न्यारी।।दुष्टों का संहार किया है ।भक्तों का उद्धार किया है ।।०१।। माँ आई है मेरी बारी ।माँ…

सफल होना – राम किशोर पाठक

बासंती छंद वार्णिक आओ मेरे पास, सफल जो चाहो होना।भूलो सारी बात, अगर चाहोगे सोना।।हारे वैसे लोग, सतत आगे जो भागे।जीते हैं वें लोग, अगर पीछे भी जागे।। पाना हो…