सब चीजों से सबसे प्यारी,होती है किताब । उलझे – उलझे हर सवाल का,देती है जवाब । इसको पढ़कर बन जाता है,मूर्ख भी विद्वान । अनपढ़ शिक्षित हो जाता है,पा…
Author: PRIYANKA PRIYA
लोहार – रामपाल प्रसाद सिंह
लोहार लोहे पर निर्भर जीवन,लोहार हूॅं मैं।कम पैसे में काम करूॅं,उपकार हूॅं मैं।विस्मित कर देता जग को,फनकार हूॅं मैं।मानसून के संग चलूॅं,बौछार हूॅं मैं।जिसने बसा लिया उसका,संस्कार हूॅं मैं।चोर उचक्के…
वृद्धावस्था – गिरिंद्र मोहन झा
शैशव, बाल्य, किशोर, युवा,से होकर तुम बने हो वृद्ध,तुम्हारा असली,बड़ा गुण है,हर स्थिति में स्थिर औ’ सिद्ध,ज्ञान, विज्ञान, अनुभव में गम्भीर,हर परिस्थति में अटल, धीर और वीर,पैतृक सम्पत्ति के संरक्षण-संवर्द्धन…
मां भगवती – राहुल कुमार रंजन
मां भगवती! शक्ति का सागर,तेरे चरणों में है जग सारा।भक्त तेरे गुण गाते हरदम,तू है सबकी नैया का किनारा। रक्तचरण और श्वेत वसन में,सिंह पर विराजी वीर भवानी।तेरी कृपा से…
लिखी हूं प्रेम पाती प्रिय- एस के पूनम
विधाता छंद। विधान-1222*4(लिखी हूँ प्रेम पाती प्रिय)(1)गगन हो या धरा पर हो,तुम्हें सत्कार जन-जन में। तुम्हीं को देख जीती हूँ,प्रणय का रीत कण-कण में। बजे मेरे पदाभूषण,सुरीला गीत छन-छन में।…
माता की सवारी – जैनेन्द्र प्रसाद रवि
मनहरण घनाक्षरी छंद आश्विन पावन मास,नवरात्र होता खास,इस बार माता जी की, हाथी की सवारी है। श्रद्धा रख नर नारी-सामग्री खरीद रहे,भक्ति भाव रख करें, पूजा की तैयारी है। थाल…
मां आ जाओ- रुचिका
हर उलझन कैसे सुलझेयह राह हमें दिखलाओ।आओ माँ मेरे जीवन सेकष्ट सारे तुम हर ले जाओ। तुम्हारे आने से आत्मबल मिलता है,दुःख तकलीफ़ में भी अवलम्बन दिखता हैआओ मेरे जीवन…
ऐ जिन्दगी तेरे लिए – डॉ पूनम कुमारी
ए ज़िन्दगी तेरे लिए क्या क्या करना रह गया बाक़ी,बस इतना बता दे ज़िन्दगी बहुत भटक लिया गुमनामी मेंए जिंदगी तेरे लिए जाना है कहाँ सपनों की ख़ातिर,बस वो राह…
शीतलता के बीच एक दोपहरी भटकी- रामपाल प्रसाद सिंह अनजान
शीतलता के बीच एक दोपहरी भटकी।रोला कैसा है लावण्य, रूपसी नाजुक नारी।कोमल पीपल पात,सरीखे डिगती डारी।।जो जाते उस राह,भनक लेते जो तेरा।झलकी लेकर पास,अटककर लेते फेरा।। बिन जाने तव चाह,चाह…
सरहद पे खड़े हैं जज्बा लेकर- बिंदु अग्रवाल
सरहद पे खड़े हैं लेकर जज्बा बलिदान का सरहद पे खड़े हैं लेकर जज्बा बलिदान का।देश की आन पे करते हैं खुद को यूँ कुर्बान देखिए।। न आँधी की परवाह…