घर एक मंदिर दुनियाँ की नजरो में मौन खड़ा रहता है “घर” भी कुछ कहता है, घर भी खुश होता है। अपने जब मिलते हैं हँसते हैं गाते हैं खुशियाँ…
Author: Vijay Bahadur Singh
सुखमय हो संसार-आँचल शरण
सुखमय हो संसार हिंद देश का यही विचार, सुखमय हो सारा संसार! सदा फैलाये सकारात्मक विचार जहाँ दुःख का न हो कोई संचार। यहाँ करें सब अच्छे व निर्मल व्यवहार,…
नृत्य-अपराजिता कुमारी
नृत्य सृष्टि के कण-कण में जन जन के मन मन में शारीरिक भाव भंगिमाओं में मानवीय अभीव्यक्तियों का रसमय प्रदर्शन है नृत्य परमात्मा की आराधना, साधक की साधना देवी, देवताओं,…
अन्तर्व्यथा-जैनेन्द्र प्रसाद रवि
अन्तर्व्यथा हे प्रभु! है अर्ज हमारी ऐसा समय न आए फिर से। आस पास रहकर भी हम मिलने को आपस में तरसे।। हाथ में पैसा रखा रह गया मिला न…
वर्षा-रानी कुमारी
वर्षा तपी हुई थी धरती, गर्मी के प्रकोप से चुपके-चुपके एक बूँद गिरी बादलों के ओट से पंछी चहके, धरती महके, सौंधी-सौंधी खुशबू लाई वर्षा आई, वर्षा आई वर्षा है…
सौरमण्डल-नीभा सिंह
सौरमण्डल आओ बच्चों पढ़ें यह पाठ, ग्रहों की संख्या होती आठ। इसके बारे में हम जाने, सौरमंडल को पहचाने। बुध है सबसे छोटा ग्रह, इसका ना कोई उपग्रह। शुक्र ग्रह…
बचपन हमें जीने दो-स्वाति सौरभ
बचपन हमें जीने दो किताबों की बोझ तले, न बचपन हमारा दबने दो कागज की कश्ती से ही, विचारों की धारा में बहने दो भीगने दो बारिश की बूंदों में,…
हिन्दी-ज्योति कुमारी
हिन्दी हर विषय में कमजोर, हिन्दी बस मेरी है, विश्वास जितना स्वयं पर उतना ही हिन्दी पर, नहीं मैं विद्वान नहीं, ह्रस्व और दीर्धीकार गलत हो जाए शायद, साहित्य की…
वो दिन-गिरिधर कुमार
वो दिन कितना बदल गया सब कुछ नियति की इस क्रीडा में अपने ही बच्चों से दूर शिक्षक की इस पीड़ा में… गुजरे जमाने की बात हो जैसे वह मंजर…
आदर्श-विजय सिंह नीलकण्ठ
आदर्श सुनने में लगता सरल लेकिन रहता काफी विरल पर जिसके पीछे लग जाए बना दे उसे निर्मल। गाँव शहर व विद्यालय मानव के पीछे भी लगते चर्चाएँ होने लगती…