प्यारी माँ-मुकेश कुमार

प्यारी माँ बिन बोले ढेर सारा प्यार लुटाती माँ, दुनियाँ प्यारी है क्योंकि पास में है माँ, कोई पूछे न पूछे, यह जरूर पूछती माँ, मेरे बेटे ने खाना खाया…

मां सृष्टिकर्तृ-सुरेश कुमार गौरव

मां सृष्टिकर्तृ  मां! यानी सृष्टिकर्त्तृ स्त्री का महान दातृ रुप इस नाम की सार्थकता सबला शक्तिरुपा में सदा परिलक्षित दिखती है। वात्सल्य भाव प्रेषित कर जीवन रुपी पात्रों में ममता,…

पहला पग-नितेश आनन्द

पहला पग आया तो था खाली हाथ हीं वो, लेकिन उम्मीदों से भरा पड़ा था वो। एक सिकन जरूर थी चेहरे पर उसके, क्या घर की ममता मिल पाएगी यहां…

हे वसुधा तूझे शत शत प्रणाम-नरेश कुमार “निराला”

हे वसुधा तूझे शत-शत प्रणाम भू, भूमि, क्षिति, धरणी, धरित्रि ये सब धरा के पर्यायवाची नाम, वसुंधरा से हमें मिलती है जीवन वेदों ने माना इसे माँ के समान हे…

माँँ-संध्या राय

माँ माँ है ममता, माँ है प्यार। माँ है जीवन का आधार। माँ से ही है जीवन, माँ है जीवनदायिनी। आँखों में माँ, बातों में माँ, रुधिरों में माँ बहती…

अतुल्य रिश्ता-विजय सिंह नीलकण्ठ

अतुल्य रिश्ता माता होती है अतुल्य  जिसे जानती दुनिया सारी  अतुल्य रिश्ता है इनसे  जो कहलाती माता प्यारी। सबसे पहले अनुभव करती  फिर शुरू करती रखवाली  स्व रक्त से सिंचित…

उन्मुक्त गगन-मनु कुमारी

उन्मुक्त गगन श्रृष्टि के सभी प्राणियों को भाता है स्वतंत्र रहना, पशु हो या पक्षी सभी चाहते हैं उन्मुक्त गगन में रहना। इसलिए तुम, उड़ लेने दो बेटियों को भी…