बचपन तेरी याद आई
वो बचपन की बातें
थी शरारत भरी राहें
नटखट थे हम मनमौजी
बारिश में निकलते थे हम
साथ दोस्तों के बन फौजी…..
मिट्टी की वो सौंधी खुशबू
खूब भीगा करते हम
जब सावन बरसता था
वो लड़कपन, वो बचपन
ऐ वक़्त तू मुझे लौटा दे…..
वो भाई – बहन के झगड़े
पड़ते थे हमें बहुत महंगे
वो रूठना फिर हमें मनाना
सच में बहुत याद आता है
वो प्यारा, अनमोल बचपन…..
किताब, कलम और पढ़ाई
साथ दोस्तों की खूब लड़ाई
जब याद मुझे पल पल आई
न रोके रुकी दिल की गहराई
झट से आँख ये मेरी भर आईं…….
मधु कुमारी
कटिहार
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