बापू आज भी जिन्दा है
शहीद दिवस पर याद ,
आते हैं सबको गांधीजी ।
जिन्होने जंग ए आजादी में ,
लाई थी एक आंधी जी ।
तीस जनवरी सन् अडतालीस को
था उनका प्रयाण दिवस ।
इसी दिन इस महामानव ने ,
धरती छोड़ी थी होके विवश ।
गोली खाने पर भी मुख से ,
निकला था, हे राम, राम ।
शैतानों ने पल भर में ही ,
कर दिया उनका काम तमाम ।
मृत्यु हुई थी अहिंसा की ,
और मौत हुआ था सत्य का ।
मानवता मर गई थी उस दिन ,
अंत हुआ पथ व्रत का ।
पर मृत्यु अहिंसा की क्या कभी ,
हो सकती है इस जग में कहीं ।
या मौत सत्य की हो सकती है ,
जब तक है ये धरती थमी ।
क्या मानवता मर सकती है ,
क्या अंत व्रत का हो सकता ।
क्या धर्म कभी मिट सकता है ,
क्या सदाचार खत्म हो सकता ।
ये सारे शाश्र्वत मूल्य है जिनपर ,
टिकी हुई है यह धरती ।
जिस दिन भी ये मिट जायेंगे ,
उस दिन न बचेगी कुछ भी कहीं ।
इसीलिए अपने बापू भी ,
मर ही नहीं सकते हैं कभी ।
जिन्दा रहेंगे वे तब तक ,
जब तक भी रहेगी ये धरती ।
उनके आदर्श हमेशा सबको ,
नई राह दिखलायेगे ।
भटके हुए सारे मानव ,
एक नई रोशनी पायेंगे ।
सच्ची श्रद्धांजलि तब होगी जब ,
उनके आदर्श अपनायेंगे ।
उनके बताये मार्ग पे चल के ,
जीवन सफल बनायेंगे ।
सुधीर कुमार
म वि शीशागाछी
टेढ़ागाछ किशनगंज