भारत का गुणगान-मधु कुमारी

Madhu

Madhu

भारत का गुणगान

इस स्वतन्त्रता दिवस के पुनीत अवसर पर
भारत का सुंदर, अद्भुत गुणगान लिख रही हूं
भारत का अंतरिक्ष में उच्च स्थान लिख रही हूं
  भारत को विश्व पटल पर महान लिख रही हूं……

हो भारत का सर्वत्र सर्वोच्च सम्मान जहां
एक ऐसा सुंदर एक नव जहां लिख रही हूं
शहीदों का मान सम्मान लिख रही हूं
वीर जवानों का बलिदान लिख रही हूं……

सभ्यता-संस्कृति का बखान लिख रही हूं
एकता का अतुल्य निशान लिख रही हूं
हर क्षेत्र में अपनी पहचान लिख रही हूं
    भारत की बेटियों का जयगान लिख रही हूं……

आधुनिक भारत के अस्तित्व में
बेटियों का योगदान लिख रही हूं
तकनीकी की ऊँची उड़ान लिख रही हूं
विदेशों में भारत की शान लिख रही हूं
     तिरंगे से अपनी पहचान लिख रही हूं……

शान तिरंगे की न धूमिल हो, कर्मपथ पर ऐसे
माँ वसुंधरा का वीर संतान लिख रही हूं
भारत को “कनक विहग” समान लिख रही हूं
आज़ादी के ध्वज के नीचे नतमस्तक हो
स्वतन्त्रता का “मधुर पैग़ाम” लिख रही हूं
हाँ, अपने भारत का मैं “यशगान” लिख रही हूं

मधु कुमारी
कटिहार

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