भारतरत्न बिहार की माटी के गौरव-अपराजिता कुमारी

Aprajita

भारतरत्न बिहार की माटी के गौरव

भारत के प्रथम राष्ट्रपति
भारतरत्न महान
बिहार की माटी के गौरव
स्वतंत्रता सेनानी देशरत्न
बिहार की माटी के शान। 

बिहार के गौरव ने जन्म
लिया 3 दिसंबर 1884 को
बिहार में सिवान के
छोटे से गांव जीरादेई में
पिता महादेव सहाय
मां कमलेश्वरी देवी के घर
परिवार था इनका किसान। 

1902 में कोलकाता बोर्ड
एंट्रेस परीक्षा में सर्वाधिक अंक
एक अंग्रेज परीक्षक ने दिए
पुस्तिका पर टिप्पणी लिखी
‘परीक्षार्थी परीक्षक से
अधिक जानता है
छात्र थे वह प्रतिभावान। 

सभी परीक्षाओं में लाते
सर्वाधिक अंक पाते प्रथम स्थान
हिन्दी अंग्रेजी उर्दू बंगला
एवं फारसी भाषा का था ज्ञान। 
शिक्षा पूर्ण कर मुजफ्फरपुर
में शिक्षक बने आदर्श
शिक्षक रहे पाते सर्वदा
सर्वत्र मान और सम्मान। 

13 वर्ष की उम्र में बनी
राजवंशी देवी जीवन संगिनी
अत्यंत सौम्य और गंभीर
सरल प्रकृति के व्यक्ति देते
महिलाओं को उचित स्थान। 

दृढ़ निश्चयी उदार दृष्टिकोण

सादगी सरलता त्याग आदर्श
महान राष्ट्रवादी युगद्रष्टा
सादगी प्रिय नेता थे वो महान। 

सौम्यता सत्यता विनम्रता
कर्त्तव्यपरायणता सहायता
सहयोग की प्रतिमूर्ति
सादा जीवन उच्च विचार
सिद्धांत पर आधारित जीवन
देश के नव निर्माण में था
उनका अतुलनीय योगदान। 

पराधीन भारत के अत्यंत
समर्थ कानूनविद अधिवक्ता
बेहद साफ-सुथरी छवि
भारतीय परंपरा एवं मूल्यों
के उपासक मिला सर्वत्र मान। 

संविधान निर्माण के क्रम में
संविधान सभा के अध्यक्ष
सर्वसम्मति से चुने गए
स्वतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति

‘राष्ट्रपति भवन’ से उन्होंने
रेशमी पर्दे आदि हटवा कर
खादी का सामान चादर
पर्दे आदि का किए उपयोग
सादगी-प्रियता का प्रतीक
मित व्यय का रखा ध्यान। 

देश के सर्वोच्च पद पर
सरकारी सुविधाओं के
उपयोग पर रखा ध्यान
1962 में ‘भारत रत्न’ की
सर्वोच्च उपाधि से देश ने
किया उनका सम्मान। 

राष्ट्रपति पद से जब
मिला विश्राम शेष दिन रहे
पटना सदाकत आश्रम में
साधारण व्यक्ति की तरह
28 फरवरी 1963 पटना
सदाकत आश्रम में ही
छुटा शरीर से प्राण। 

सुचिता सादगी पारदर्शिता के
प्रतीक देशरत्न भारतरत्न
को सर्वदा नमन सर्वदा नमन। 

अपराजिता कुमारी
उ. मा. उ. वि. जिगना जगरनाथ
हथुआ गोपालगंज

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