बिहार की गाथा
आज सुनाती हूँ मैं आपको अपने अतुल्य बिहार की कहानी,
गर्व करो और याद रखो आप इसको अपने ही जुबानी।
सीतामढ़ी में जनक पुत्री जानकी का जन्म हुआ था,
राजगीर और बोध गया महात्मा बुद्ध के
लिए ही पहचानी जानी।
वीर कुंवर सिंह ने यही से क्रांति की शुरुआत की थी,
बिंबिसार अशोक की गाथा गान की यहाँ अमूल्य निशानी।
नालंदा तक्षशिला विक्रमशिला विश्वविद्यालय की क्या बात करें हम,
शिक्षा जगत में इनकी महिमा नहीं हो सकती कभी पुरानी।
दिनकर, विद्यापति, फणीश्वरनाथ रेणु की पावन भूमि यह,
साहित्य जगत में इनके कीर्तिमान सबने ही पहचानी।
दशरथ माँझी जैसे जीवट कर्मठ की क्या बात करें हम,
पत्थरों को काट कर रहा बनाने की अद्भुत महिमा हमने जानी।
भोजपुरी साहित्य का परचम था विश्वपटल पर जिसने फहराया,
भिखारी ठाकुर का नाम चढ़ आया सबके ही जुबानी।
वैशाली की नगरवधू आम्रपाली को कैसे भूल हम जाए,
छपरा के आमी मंदिर थावे की शक्तिपीठ की महिमा सबने जानी।
पटना के पटन देवी, महावीर मंदिर से लेकर देव के सूर्य मंदिर की क्या बात करें हम,
गुरु गोविंद सिंह की भूमि पर गुरुद्वारा और पत्थर की मस्जिद की महिमा हमने जानी।
भागलपुर का सिल्क, सिवान के मिट्टी के बर्तन और मधुबनी पेंटिंग बनाये इसको खास,
मखाना और मनेर के लड्डू जिव्हा पर लेकर आये बिहार की पहचान।
डॉ राजेन्द्र प्रसाद और कर्पूरी ठाकुर की पावन भूमि यह बिहार,
उनकी सादगी उनके विचार बना देता है बिहार को खास।
शत्रुध्न सिन्हा, शेखर सुमन, मनोज बाजपेयी, सुशांत सिंह सबकी तूती बोलती रही,
बॉलीवुड में इनकी धाक की क्या कहूं बात अपनी जुबानी।
लिट्टी चोखा, दही चूड़ा, सत्तू यहाँ का प्रसिद्ध है,
ठेकुआ, अनारस, तिल के लड्डू का स्वाद भूलना मुश्किल है।
शारदा सिन्हा के गानों की है हर घर में मिली मान,
विदेशों तक है उनके भोजपुरी गानों की प्रसिद्धि और पहचान।
मुज्जफरपुर की लीची हो या हाजीपुर का केला, या हो प्रसिद्ध सोनपुर के सबसे बड़े पशुओं का मेला।
क्या क्या करें बखान इससे भी बड़ी है हमारी पहचान।
हाँ मैं बिहारी हूँ और फख्र है मुझे बिहारी होने पर,
मेहनत से हम डरते नहीं ये देखना है तो आ जाइये हमारी जमीन पर।
रूचिका
राजकीय उत्क्रमित मध्य विद्यालय तेनुआ
गुठनी सिवान बिहार