बस मेरे सामने – विजय शंकर ठाकुर

बस !मेरे सामने …………।

बस !मेरे सामने……….।
बैठे हैं, उनींद आंखों में सपने लिए,
एकटक निहारते काले श्यामपट्ट,
तलाशते हुए भविष्य के रास्ते।
बस ! मेरे सामने…………।
कलम लिए नाज़ुक,दुर्बल हाथों में,
धीमे स्वर में बुदबुदाते और,
शिद्दत से मोती उकेरते कागज पर ।
बस ! मेरे सामने ………….।
छूना जो है, आसमान,
पूरा भी करना है,माता पिता केअरमान,
समेटने को आतुर ढेर सारा ज्ञान,
, बढ़ाने को उद्धत है,अपना मान,
बस ! मेरे सामने …………।
हसरत भरी नज़रों से हमें देखते,
सुनते ,गुनते,आदर्श की चादर बुनते,
आशा,अपेक्षा लिए स्वयं को सुधारते,
बस! मेरे सामने ………….।

विजय शंकर ठाकुर
विशिष्ट शिक्षक
म वि गोगलकटोल
प्रखंड बोखड़ा
जिला सीतामढ़ी

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