बचपन- Ayushi

मुझे समझ नहीं आती सबकी बातें बस अपनी मर्ज़ी का करता हूं लाख मुझे कोई क्यूं ना समझाए मगर ज़िद पर अपनी अडिग रहता हूं सब कहते ये मत कर…

बचपन की शरारतें – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

जब कोई फल भाता, दूर से नज़र आता, छिप कर बागानों से, टिकोले को तोड़ता। गाँव की हीं महिलाएँ, कुएँ पर पानी भरें, पीछे से कंकड़ मार, मटके को फोड़ता।…

प्रेम उपहार – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

प्रेम उपहार बाल भावना को स्पर्श करती रचना (मनहरण घनाक्षरी छंद में) नाजुक- कोमल कली, बागानों में जैसे माली, करे खूब देखभाल,बच्चे होते फूल से। कभी नहीं करें रोस, यदि…

परीक्षा परिणाम- दीपा वर्मा

आया परिणाम बच्चों का, उत्साह देखते बनता है। कुछ बच्चे हैं डरे-डरे, जाने क्या मेरा होना है। नए वर्ग मे जाना है,नयी किताबें, नयी कापियां, नया बैग ,सजाना है। परीक्षा…

श्रावण- देव कांत मिश्र ‘दिव्य’

शुचि मन-भावन श्रावण आया आगत को लख हों पुलकित मन। अम्बर बादल चहुँदिशि छाया। दृश्य मनोहर बरसा-सावन।। कृषक मुदित मन गीत सुनाते रिम-झिम बूँदें हैं हर्षाती। सुमन विटप मन को…