विधा: दोहा – देवकांत मिश्र ‘दिव्य

विधा: दोहा पृथ्वी दिवस मनाइए, लेकर नव विश्वास। जन-जन को जागृत करें, पेड़ लगाएँ पास।। हरित दिखे धरती सदा, ऐसा लें संकल्प। वृक्षारोपण में कभी, जोश न हो अल्प।। पादप…

वसुधा पुकारती – एस. के. पूनम

विधा – मनहरण छंद तड़ाग में भरा पंक, अब खिलेगा सारंग, पुष्प पर बैठे अलि, बना है शरारती। लुभावने लग रहे, ऊँचे-ऊँचे तरुवर, छोटे-मोटे वृक्षों पर, फैल रही मालती। प्रकाश…

खाकर हो जाते हवा हवाई – नीतू रानी

पृथ्वी दिवस मनाइए, साल में दो पेड़ लगाइए।। पृथ्वी को रखिए सुरक्षित, लगाइए उस पर सुंदर-सुंदर वृक्ष।। उपजाइए पृथ्वी पर अन्न, प्रसन्न रहेगा आपका मन।। खेत में न दीजिए विषैले…

पृथ्वी को सुरक्षित करें – एम० एस० हुसैन “कैमूरी”

आओ हम सब मिलकर एक नया प्रयास करें। पृथ्वी भी होती है दुखित, इसका आभास करें।। हम सब तो अपने स्वार्थ में भूल ही बैठे हैं, वनों को ही काटकर…

धरती माँ की पुकार – सुरेश कुमार गौरव

धरती माँ की बेहद करुण कहानी, सुन लो हे मानव! मत करो नादानी। पेड़ कटे, नदियाँ सूखीं, ज़मीन हुई कम, हरियाली की आशा — झूठी दलील दिए तुम।। साँसें बोझिल,…

हम सब धरती की संतान हैं – नूतन कुमारी

विश्व को बनाएं सुसंगठित परिवार, अपनी धरा को दें खुशियाँ अपार। हर चेतना में करें नव ऊर्जा का संचार, धर्म और सहिष्णुता का करें विस्तार। धरा की गरिमा, एकमात्र जगत…