हिंदी ! सहज सृजन की कुंजी, भावगम्य मनमोहक पूंजी। सुरम्य गीत संगीत सुधारस तृप्ति, कथा पटकथा चलचित्र समग्र सृष्टि। हिंदी! स्वर व्यंजन वर्ण , शब्द विन्यास बहुरंग। सरल सुलेख्य सुपाठ्य,…
Category: हिंदी दिवस
मैं हिंदी हूँ-संजय कुमार
मैं हिंदी हूँ भारत माता की ललाट पर देदीप्यमान एक बिंदी हूँ, मैं हिंदी हूँ। भाषाओं की हूँ सिरमौर प्रसार मेरा है हर ओर हर देश मे फैली हूँ मैं…
भारत की बिन्दी-विनय विश्वा
मैं हिन्दी हूं जननी जन्मभूमि मातृभाषा हूं खड़ी बोली खड़ी होकर मर्यादित,अविचल आधार हूं मैं भारत की श्रृंगार हूं। इतिहास से लेकर अब तक मैं सिंध से हिन्द, हिन्दी कहलाई…
देश है एक-दीपा वर्मा
देश है एक, भाषाएँ अनेक। जिसमें हिंदी है एक, मातृ भाषा कहलाती है। देश प्रेम दर्शाती है, अभिव्यक्ति का मुख्य साधन है, भाषाओं की जननी है। मन की बात तुरंत…
हिंदी हृदय की वाणी है-नीतू रानी
हिंदी हृदय की वाणी है, बचपन में मैंने सुनी अपनी नानी से हिंदी में नयी कहानी है । भाषा की जननी है हिंदी , साहित्य की गरिमा हिंदी , जन…
हिन्दी आज निशब्द है-सुरेश कुमार गौरव
तब देश के भाषा की जननी और गौरव थी हिन्दी भाषा! जब समृद्ध हुई तब नाम मिली भारतभूमि की मातृभाषा !! चहुं ओर पहुंचकर हिन्दी भाषा जन-जन की पुकार बनी…
हिंदी हमारी है-धीरज कुमार
हिंदी हमारी है। हिंदी हमारी भाषा है,हिंदी से प्यार करना हमे आता है। हिंदी भारत माता की बिंदी,हिंदी से अपना पुराना नाता है। बिन बिंदी स्त्री का चेहरा सुना,बिंदी से…
हिंदी मन प्राण की भाषा-रूचिका
रात के स्वप्न से लेकर दिन की हकीकत तक सुबह की रोशनी से लेकर रात के अंधकार तक, साँसों के आने से लेकर साँसों के जाने तक, टूटती उम्मीदों से…