अब वो फनकार कहाँ, अब वो रंगों का चटकार कहाँ, अब वो अल्हड़-सी शरारतें कहाँ, अब वो फाल्गुन का अंदाज़ कहाँ? अब वो ढोल-मंजीरा सजी शाम कहाँ, सजी महफ़िल में…
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रंगोली होली – सुरेश कुमार गौरव
आसियाने रंगे जाए तो जगमग मनती दीपावली.. जब सब रंग से हो जाए सराबोर तो खिलती होली, घर में ‘दीपक’ जलाते तो प्रकाश मय दीपावली.. जब चौराहे में अग्नि जलाएं…
होली – संजय कुमार
कुसुम किसलय खिलते हैं कुंञ्ज उपवन वाग में कोकिल मधुर कूकते हैं आम्र मंजर वाग में आग लगते हैं पलाश के फाग के ही मास में हवा मादकता लिए झूमते…
होली अंक – एस.के.पूनम
मचाया है हुडदंग, मर्यादा को किया भंग, भूल गया शालीनता,वाह भाई होली है। मदिरा पी झूम रहा, फटेहाल घूम रहा, नैयनो में नींद नहीं,खा ली भांग गोली है। छुप गई…
होलिका जलाएं – मीरा सिंह “मीरा “
चलो आज होलिका जलाएं होली का त्योहार मनाएं नहीं दिखे अब कहीं बुराई मन से मन को आज मिलाएं।। घर घर में खुशहाली आए चलो आज होलिका —- रौशन रौशन…
माँ बिन कौन सुनेगी हमारी –
माँ माँ बिन कौन सुनेंगी हमारी माँ बिन———–२। कतहूंँ से आबि तो माँ लग बैठके सुख- दुख मांँ को सुनाती, दुख में दुखी सुख में खुश होके माँ थी मुझे…
दोहावली – देव कांत मिश्र ‘दिव्य’
होली कहती है सदा, रखिए नेह मिठास। यही पर्व का सार है, यही सुखद-आभास।। भेद-भाव को भूलकर, खेलें होली आज। समता के संदेश से, रखिए सुखी समाज।। द्वेष दंभ की…
होली -दीपा वर्मा
आया होली का त्योहार, फिर एक बार लाया रंगो की बौछार। नहीं अपने परायो की दरकार, आज है बस हमे रंगो से सरोकार। नाचेंगे-गाएंगे धूम मचाएंगे,पूए पकवान खाएंगे, खूब गुलाल…
बेबस शिक्षक- विवेक कुमार
बड़े जतन से की पढ़ाई, बिना नींद बिन जम्हाई, बड़े शौक थे देंगे ज्ञान, बढ़ेगा मान और सम्मान, यही सोच ले भरी उड़ान, मिली शिक्षा की कमान, बन गया शिक्षक…
होली – संजय
क्या ये ही होली है ? मितवन ये बतला तू जरा, कि , क्या ये ही होली है ? गेहूँ की बलियाँ झूम झूम, हवा के संग जब नाचे लगी,…