भारतमाता-अश्मजा प्रियदर्शिनी

भारतमाता विविध वेष-भूषा से सजी भारत माता हमारी। अनेक धर्मों के धर्मावलंबी हम, तन मन धन अर्पित कर, दुनिया को हम अपनी एकता दिखाएँ। धर्मनिरपेक्षता, साम्प्रदायिकता है हमारी। पर अखण्ड…

मैं त्रयलोकपावनी गंगा हूँ-मनु कुमारी

मैं त्रयलोकपावनी गंगा हूँ मैं हूँ गंगा! त्रयलोकपावनी, पापनाशिनी, भवमोचिनी , भवतारिणी, भवभामिनी गंगा l मैं हूँ सकल मनोरथ पूर्ण कामिनी, कर स्नान मुझमें प्राणी पाते हैं, सभी कष्टों से…

भारत महान-जैनेन्द्र प्रसाद रवि

भारत महान हमारा भारत देश महान है, हमें तिरंगे पर अभिमान है। उत्तर में है खड़ा हिमालय, घर-घर मंदिर और शिवालय। तीन ओर से अंक में लेकर, सागर करता गुणगान…

आओ ईश्वर का धन्यवाद करें-मधु कुमारी

आओ ईश्वर का धन्यवाद करें आओ ईश्वर का धन्यवाद करें उनका स्नेह पूर्ण गुणगान करें जिसने दिया हमें जीवन अनमोल जिसका नहीं चुका सकते हम मोल। बस एक नेक काम…

अपना गणतंत्र-देव कांत मिश्र ‘दिव्य’

अपना गणतंत्र  अपने गणतंत्र का जगत में मिलकर ही मान बढ़ाएँगे। इसकी बगिया में हम नित एक नया प्रसून खिलाएँगे।। अपने गणतंत्र—– गण है तभी सारा तंत्र है। एकता ही…

मेरा मुल्क-अशोक कुमार

मेरा मुल्क बन्दे मातरम बन्दे मातरम बन्दे मातरम, शान हमारी तिरंगा है, अरमान है हमारा। सबसे ऊंचा रहे तिरंगा, अभिमान हमारा।। इसकी आजादी के लिए, वीरों ने प्राण गंवाए। कोई…