ममता के आंचल में शिक्षा-नितेश आनन्द

ममता के आंचल में शिक्षा जन्मदात्री तो नहीं तुम, लेकिन मां का प्यार दिया है तूने। नन्ही कदमों से जरूर था आया, चल के दौड़ना सिखाया तूने। जब कभी बाधाएं…

माँ तू मेरा संसार-अवनीश कुमार ‘अवि’

माँ तू मेरा संसार माँ तुम केवल एक शब्द नहीं सृष्टि कीअनगढ़ंत परिभाषा हो। माँ तुम केवल हृदय का मर्म नही हृदय की विशाल अभिलाषा हो। माँ तुम केवल सौभाग्य…

माँ कहाँ-अमृता सिंह

माँ कहाँ है राहें वही, वही पगडंडियाँ। जिनमे रहते थे तेरे पैरों के निशां उन निशानों में मैं तुझको ढूंढा करूँ मेरी माँ तू कहाँ है? कहाँ है? कहाँ? है…

प्यारी माँ-मुकेश कुमार

प्यारी माँ बिन बोले ढेर सारा प्यार लुटाती माँ, दुनियाँ प्यारी है क्योंकि पास में है माँ, कोई पूछे न पूछे, यह जरूर पूछती माँ, मेरे बेटे ने खाना खाया…

मां सृष्टिकर्तृ-सुरेश कुमार गौरव

मां सृष्टिकर्तृ  मां! यानी सृष्टिकर्त्तृ स्त्री का महान दातृ रुप इस नाम की सार्थकता सबला शक्तिरुपा में सदा परिलक्षित दिखती है। वात्सल्य भाव प्रेषित कर जीवन रुपी पात्रों में ममता,…

पहला पग-नितेश आनन्द

पहला पग आया तो था खाली हाथ हीं वो, लेकिन उम्मीदों से भरा पड़ा था वो। एक सिकन जरूर थी चेहरे पर उसके, क्या घर की ममता मिल पाएगी यहां…

हे वसुधा तूझे शत शत प्रणाम-नरेश कुमार “निराला”

हे वसुधा तूझे शत-शत प्रणाम भू, भूमि, क्षिति, धरणी, धरित्रि ये सब धरा के पर्यायवाची नाम, वसुंधरा से हमें मिलती है जीवन वेदों ने माना इसे माँ के समान हे…