नन्हें बच्चे बच्चों से तो समस्त संसार है, समाहित इनमे ज्ञान का भंडार है। होते हैं ये अत्यंत भोले, सम्मुख सबके अपने राज खोले। चंचलता की ये तो मूरत…
Category: sandeshparak
Sandeshparak poems are poems that are used to convey a message with feelings. Through poems, statements related to the country, the world, and society are transmitted to the people. Teachers of Bihar give an important message through the Sandeshparak of Padyapankaj.
आधुनिक परिवार-आँचल शरण
आधुनिक परिवार आधुनिक परिवार का हो गया है कैसा हाल, सब रहना चाहते अपने आप में सिमट कर खुशहाल। अब बूढ़े माता-पिता भी लगते है दूर के रिश्तेदार, यही है…
दामन-विजय सिंह “नीलकण्ठ”
दामन प्रभु का दामन पकड़ पकड़ कर हम सब भू पर आते हैं लेकिन भू पर आते हीं सब अपनों में खो जाते हैं। आने से पहले वादा करते कभी…
हमारा स्कूल-नसीम अख्तर
हमारा स्कूल यह हमारा स्कूल है, देता हमें सुकून है। प्रतिदिन समय से हम सब स्कूल में पढ़ने को जाते है, मध्यांतर के बाद हम सब टिफिन खोलकर खाते हैं।…
इमान हो ऊँचा-ब्रजराज चौधरी
इमान हो उँचा उँचे भवन बना न सको तुम, पर तेरा इमान हो उँचा। ऐसा कोई काम न करना, जिससे तेरा सर हो नीचा। उँचे भवन बना न सको तुम;…
पानी-जैनेन्द्र प्रसाद “रवि”
पानी पानी की है बात निराली, इससे दुनियाँ में हरियाली। इसके बल पर दुनियाँ में, सजती है लोगों की थाली। पानी से ही आग बुझाते, खेतों में हम फ़सल…
संयुक्त परिवार-मनोज कुमार दुबे
संयुक्त परिवार घर के आंगन में जो खुशियाँ हमने पायी है। वक्त वो शायद बीत गया जो हमने बिताई है।। दादा जी के कंधे पर अपनी थी सवारी। मेरी दादी…
स्वयं की पहचान-मधुमिता
स्वयं की पहचान क्या कभी पहचाना स्वयं को? कौन हैं हम? भूलकर स्वयं को आत्मा देहाभिमान में ढूंढे, कौन है परमात्मा? देह नही तू देही है, मिलेंगे कैसे वो? परमात्मा…
क्यों भूल गया-कुमकुम कुमारी
क्यों भूल गया क्यों भूल गया ऐ इंसान ये किराए का है मकान साँसे बेच-बेच कर किराया चुकाना है फिर वापस घर चले जाना है तो क्यों इस नश्वर जगत…
बची रहे मानवता-रानी कुमारी
बची रहे मानवता कोरोना के कहर से हमने अनुभव यह पाया है धन-दौलत, पद, सत्ता का मोह बस भूल-भूलैया है। हो सत्ता के सिरमौर या सुंदर स्वस्थ बदन गठीला उसके…