शहर-विनय कुमार ओज

शहर शहरों की रौनक होती भीड़ है पर ये तो सहता रहता पीर है हरित, शांति को ये सदा तरसता पल-पल वाहनों से धुआँ बरसता जहाँ भी देखो शोर-शराबा है…

जख्मों को सहलाते रहिये-स्नेहलता द्विवेदी आर्या

ज़ख्मों को सहलाते रहिये दिल की रीत निभाते रहिये, जख्मों को सहलाते रहिये। संकट में है पड़ी मानवता, मानव धर्म निभाते रहिये। जंग कठिन है रण है बाकी, अपना धर्म…

युवा तुम लड़ो मुस्किलों से-संदीप कुमार

युवा तुम लड़ो मुश्किलों से हाँ, युवा तुम हो देश के भविष्य तुम हर असंभव कार्य को संभव कर सकते हो तुम्हारे अंदर है असीमित शक्ति तुम डटकर सामना करना…

कौन कहता है बच्चे पढ़ते नहीं-रीना कुमारी

कौन कहता है बच्चे पढ़ते नहीं बच्चे तो कच्चे माटी के बने होते हैं जैसा चाहो वैसा रूप बना दो, पर हम खुद कुम्हार बनते नहीं, कौन कहता है बच्चे…

कौन कहता बच्चे पढ़ते नहीं-प्रियंका कुमारी

कौन कहता बच्चे पढ़ते नहीं बच्चों की होती अलग सी दुनिया जिसमे होती उनकी जान, कल्पनाओं का पंख लिए हौसलों से भरते वे अपनी उड़ान, सृजनात्मकता होती उनमें कूट-कूट कर…

बच्चों का सर्वांगीण विकास-नूतन कुमारी

बच्चों का सर्वांगीण विकास बच्चों का मन चंचल चितवन है, हम उन पर लिख देंगे इतिहास, सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाकर, देंगे ज्ञान का अलौकिक प्रकाश। खेल-खेल में सीखते हैं बच्चे, छू…

विद्या वाहिनी का रूप शिक्षक-शालिनी कुमारी

विद्या वाहिनी का रूप शिक्षक देश के शिरोरत्न हैं शिक्षक शिक्षक ही है राष्ट्र-निर्माता शिक्षक के ज्ञान की ज्योति से जीवन सुख-संपन्न हो जाता नौनिहालों के स्वर्णिम भविष्य को शिक्षक…