चन्द्रशेखर आजाद- स्वाति सौरभ

चंद्रशेखर आजाद

स्वतंत्र भारत का एक स्वतंत्र सेनानी
जिसने अंग्रेजों की गुलामी न मानी।

अचूक निशानेबाज आजाद
करते साथ अध्यापन कार्य
सशस्त्र क्रांति का अपनाया मार्ग
छोटी उम्र में हुए गिरफ्तार।

चन्द्रशेखर बताए नाम आजाद
बताया जेल को अपना आवास
स्वतंत्रता जिसके पिता का नाम
कोड़ों की सजा का हुआ ऐलान।

पंद्रह कोड़ों से हुआ प्रहार
पर कहाँ माना उसने भी हार
वन्दे मातरम से भरी हुंकार
किया भारत माँ की जय जयकार

लाजपत राय के मौत के बाद
धधक रही थी बदले की आग
भगत सिंह का देकर साथ
बम कांड को दिया अंजाम।

अंग्रेजों ने निकलवाए फरमान
पकड़वाए इसे तो मिलेगा इनाम
अपने मित्र का देख जर्जर हालात
तैयार हो गए वो बनने को गुलाम।

दोस्तों ने उनसे की गद्दारी
अंग्रेज़ो को ये बात कह डाली
किस पार्क में छिपे हैं आजाद
अंग्रेज़ों ने घेर लिया वो पार्क।

इस हमले से बेखबर आजाद
एक ही बंदूक थी उनके पास
अंग्रेज़ों पर करते रहे बौछार
एक गोली जब बची थी पास

मार ली तब खुद को ही गोली
अपनी जान खुद ही ले ली
गिरफ्त में न आया शेर
जाते जाते कुछ कह गए शेर।

दुश्मन की गोलियों का हम सामना करेंगे
आजाद ही रहे हैं आजाद ही रहेंगे।

स्वाति सौरभ

आदर्श म. वि. मीरगंज

आरा नगर भोजपुर

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