वादे करते हैं सभी,
पूरा करते न कभी,
जुमला साबित होता, आया हर बार है।
धर्म का सहारा ले के,
जाति की दुहाई दे के,
सामने से हाथ जोड़े, आता उम्मीदवार है।
नौकरी उधार दूंँगा,
शिक्षा रोजगार दूंगा,
कहते हैं हमारी बना दें सरकार है।
मतदान की ताकत,
समझते नहीं हैं लोग,
स्वेच्छा से मतदान का, मिला अधिकार है।
जैनेन्द्र प्रसाद ‘रवि’
म.वि. बख्तियारपुर, पटना
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