एक बाल मन की कमेंट्री – अवधेश कुमार

ग्राउंड में जब आई धूम,
एशिया कप का था फाइनल बूम बूम।
पाकिस्तान आया बड़े जिगरी मिजाज में,
सोचा, जीतेंगे हम, छक्के-छक्के बाज़ार में।

पर बल्ला शुरुआत में बोला साहिबजादा फरहान और फखर जमान की भाषा,
हर शॉट पर लगी जैसी कड़क चाय की भाषा।
बॉलर वरुण के सामने जले जैसे मोम के दिए,
फिर कुलदीप ने तो धागे खोल दिये ।
बुमराह की दहाड़ ने लगाई पुच्छलो की शामत ,
गिर पड़ा पाकिस्तान 20 ओवर में धोबी पछाड़

भारतीय बल्लेबाज खेलें जैसे बाजार में कैजुअल खरीदारी,
शुरुआत में फहीम और शाहीन ने दिखाई अपनी तेजी ।
3 विकेट खोकर भारत हो गया सिंगल डबल में बिजी
संजू के कैमियो ने लगाया जान ,
फिर आया शिवम दुबे के छक्कों का तूफान
नायक रहे वर्मा जी लगाया पूरा जोड़,
आखिर में रिंकू ने शॉट मारकर पाक को किया कमजोर

आखिरी ओवर में भारत ने दिखाया तगड़ा जलवा,
बिना हड़बड़ी, बाज़ी मारी जैसे खाया हलवा ।
ट्रॉफी लेकर आई खुशी, मोदी जी ने ट्वीट कर दिलाया मौज

तो दोस्तों सुन लो बातें, ये मैच था बड़ा अनोखा,
क्रिकेट से बढ़कर था, भारत के जलवे का झरोखा
भारत जीता, पाकिस्तान रोया,
खेल के साथ साथ जज्बातों में खोया मैं ।

प्रस्तुति – अवधेश कुमार
उत्क्रमित उच्च माध्यमिक विद्यालय रसुआर , मरौना , सुपौल

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