वासुदेव छंद
आश नया मन, सर्जन दो।
देव दया कर, दर्शन दो।।
भव भंजन तुम, कष्ट हरो।
जीवन का दुख, नष्ट करो।।
पाप हुआ अब, वर्जन दो।
देव दया कर, दर्शन दो।।०१।।
अविनाशी तुम, हम जानें।
भक्तों के बल, सब मानें।।
अब तो आकर, वर्णन दो।
देव दया कर, दर्शन दो।।०२।।
सत्य सनातन, समरस हो।
रहते हर-पल, अंतस हो।।
मैं मेरा तुम, मर्दन दो।
देव दया कर, दर्शन दो।।०३।।
पीड़ा हरकर, आज वरो।
व्याकुल है मन, भाव भरो।
बनकर बादल, गर्जन दो।
देव दया कर, दर्शन दो।।०४।।
माफ करें अब, “पाठक” को।
विघ्न हरे हर, याचक को।।
स्थान मुझे तुम, चरणन दो।
देव दया कर, दर्शन दो।।०५।।
रचयिता:- राम किशोर पाठक
प्रधान शिक्षक
प्राथमिक विद्यालय कालीगंज उत्तर टोला, बिहटा, पटना, बिहार।
संपर्क – 9835232978
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